नैनीताल। ज्योतिषाचार्य डॉक्टर मंजू जोशी ने बताया कि 30 अप्रैल बुधवार को अक्षय तृतीया एवं परशुराम जयंती पर्व मनाया जाएगा।हिंदू पंचांग के अनुसार, वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को अक्षय तृतीया पर्व मनाया जाता है।धार्मिक मान्यतानुसार अक्षय तृतीया के दिन से ही त्रेता युग का आरंभ माना जाता है। कहते हैं इस दिन किए गए कार्यों से अक्षय फलों की प्राप्ति होती है। ‘न क्षय इति अक्षय’, यानि जिसका कभी क्षय न हो, वह अक्षय है।अक्षय तृतीया पर कुछ विशेष योग बनने जा रहे हैं–रोहिणी नक्षत्र,रवि योग,शोभन योग,गजकेसरी योग, सर्वार्थ सिद्धि योग,लक्ष्मी नारायण योग, मालव्य योग तथा मीन राशि में शुक्र, राहु, बुध और शनि की युति से चतुर्थ ग्रही योग का निर्माण हो रहा है, इसके अतिरिक्त चंद्रमा अपनी उच्च राशि वृषभ में रोहिणी नक्षत्र में एवं सूर्य अपनी उच्च राशि मेष में, तथा शुक्र अपनी उच्च राशि मीन में होने से अक्षय तृतीया के फल को और भी विशेष बनाते हैं।आगे पढ़ें अक्षय तृतीया का महत्व…

आइए जानते हैं अक्षय तृतीया का महत्व।वैशाख माह भगवान विष्णु जी का सबसे प्रिय माह माना जाता है। वैशाख शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को अक्षय तृतीया कहा जाता है। इस दिन सूर्य और चन्द्रमा दोनों ही अपनी उच्च राशि में स्थित होते हैं। इसलिए दोनों की सम्मिलित कृपा का फल अक्षय ( जिसका क्षय न हो) हो जाता है। इसलिए माना जाता है कि इस तिथि को किए गए कार्यों के परिणाम शुभ ही शुभ होते है। परंपरागत रूप से, दिवाली से पहले धनतेरस की तरह अक्षय तृतीया को भी विशेष पर्व मानते है चूंकि अक्षय का अर्थ शाश्वत होता है इसलिए लोग अपने जीवन में खुशहाली और समृद्धि लाने के लिए सोना, चांदी या घरेलू विद्युत उपकरण व वाहन आदि खरीदने के लिए शुभ मानते हैं।धार्मिक मान्यताओं के अनुसार अक्षय तृतीया के दिन भगवान विष्णु के छठे अवतार माने जाने वाले भगवान परशुराम का जन्म हुआ था। परशुराम ने महर्षि जमदाग्नि और माता रेनुकादेवी के घर जन्म लिया था। यही कारण है कि अक्षय तृतीया के दिन भगवान विष्णु की उपासना की जाती है। इसदिन परशुरामजी की पूजा करने का भी विधान है।
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