ज्योतिषाचार्य डॉक्टर मंजू जोशी के अनुसार प्रत्येक वर्ष कार्तिक माह की अमावस्या तिथि को दीपावली का पर्व मनाया जाता है। इस वर्ष अमावस्या तिथि दो दिन पढ़ने के कारण शस्त्रानुसार सभी गृहस्थियों को प्रथम दिवस यानि 31 अक्टूबर 2024 को पितृ पूजन तथा द्वितीय दिवस यानी एक नवंबर 2024 दिन शुक्रवार को दीपावली पर्व मनाना शास्त्र सम्मत रहेगा। इस वर्ष दीपावली पर कुछ दुर्लभ संयोग बन रहे है जो कि सभी राशि के जातकों को अत्यंत शुभ फल प्रदान करेंगे।दीपोत्सव पर्व पर स्वाति नक्षत्र जो की अत्यंत ही शुभ माना जाता है साथ ही इस वर्ष दीपोत्सव पर देवी लक्ष्मी का अत्यंत शुभ शुक्रवार भी पड़ रहा है जिसमें लक्ष्मी पूजन अत्यंत ही शुभ फल दायक रहेगा। इसके अतिरिक्त प्रीति योग, शुक्र बुध की युति से महालक्ष्मी योग का निर्माण हो रहा है,आयुष्मान योग, तथा शनि देव अपनी स्व राशि कुंभ में बैठकर धन-धान्य में वृद्धि करेंगे।आगे पढ़ें पूजा विधि मुहूर्त व अन्य जरूरी चीजें……..
आध्यात्मिक रूप से दीपावली पर्व अन्धकार पर प्रकाश की विजय* को दर्शाता है। *दीपावली एक संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ ही दीप+आवली से है जिसमें दीप का अर्थ दीपक से और आवली का अर्थ पंक्ति से है यानी दीपों की पंक्ति को भी दीपावली पर्व कहा गया है।धार्मिक मान्यतानुसार दीपावली पर्व मनाने का मुख्य कारण यह है कार्तिक माह की अमावस्या तिथि को भगवान श्री राम चौदह वर्ष के वनवास को पूर्ण कर पुनः अपनी नगरी अयोध्या लौटे थे।अयोध्यावासियों का हृदय अपने परम प्रिय राजा के आगमन से प्रफुल्लित हो उठा श्री राम के स्वागत हेतु अयोध्या वासियों ने घी के दीपक जलाए। कार्तिक माह की सघन काली अमावस्या की वह रात्रि दियों की रोशनी से जगमगा उठी। तभी (त्रेता युग) से प्रतिवर्ष हिंदू धर्म में दीपावली पर्व को हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।आगे पढ़ें लक्ष्मी पूजा व मुहूर्त…….
लक्ष्मी पूजा शुभ मुहूर्त।अमावस्या तिथि प्रारंभ 31 अक्टूबर 2024 अपराह्न 3:55 से दिनांक 1 नवंबर 2024 दिन शुक्रवार सायंकाल 6:18 तक।महालक्ष्मी पूजा में प्रदोष काल का विशेष महत्व है।श्री महालक्ष्मी पूजा मुहूर्त 1 नवम्बर 2024 प्रदोष काल एवं वृषभ काल में सायं – महालक्ष्मी पूजा (प्रदोष काल) पूजा मुहूर्त 5:23 से 8:01 तक। वृषभ काल पूजा मुहूर्त सायंकाल 6:19 से रात्रि 8:14 तक। चौघड़िया मुहूर्त 7:53 मिनट से 9:15 तक। महानिशा काल पूजा मुहूर्त रात्रि 11:24 से 12:23 तक। सिंह काल पूजा मुहूर्त रात्रि 12:49 से 3:08 तक।आगे पढ़ें दीप संख्या व स्थान……
दीप संख्या व स्थान।दीपावली पर्व पर नौ (9) या तेरह(13) दीपक जलाना शुभ माना जाता है इसके अतिरिक्त एक दीपक गाय के घी का जिसकी चार बत्तियां हो मंदिर में पूर्ण रात्रि (अखण्ड ज्योति) जलाना शुभ माना जाता है।प्रथम दीपक मंदिर में दूसरा दीपक रसोई घर में व तीसरा दीपक तुलसी पर प्रज्वलित करें। तदोपरांत बचे हुए दीपक संपूर्ण घर में प्रज्वलित करें। एक दीपक पितरों को समर्पित करें, दो मुख्य द्वार पर ,एक दीपक नल के समीप रखें ,बेल के पेड़ के नीचे दीपक जलाने से महादेव प्रसन्न होते हैं।आगे पढ़ें पूजा विधि……
पूजा विधि।दीपावली पर्व पर श्री गणेश व देवी लक्ष्मी जी की पूजा का विधान है। दीपावली पर्व पर सफाई का विशेष ध्यान रखें। नित्य कर्म से निवृत्त होकर पूरे घर को पूजा स्थल को स्वच्छ करें। दीप प्रज्ज्वलित करें। चौकी पर लाल रंग का आसन बिछा कर गणेश-लक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित करें। इनके साथ भगवान कुबेर, मां सरस्वती और कलश की स्थापना करें।*ऊं अपवित्र: पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोपिवा*।*य: स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स: वाह्याभंतर: शुचि:*।मंत्र का जाप करते हुए तीन बार गंगा जल से छिड़क कर पूजा स्थल को शुद्ध करें। पूजन का संकल्प लेते हुए भगवान गणेश और कलश की पूजा करें। हाथ में फूल लेकर गणेश जी का ध्यान करें। देवी लक्ष्मी को आमंत्रित करें। दोनों को वस्त्र, रोली, कुमकुम, अक्षत, पुष्प, पंचामृत, पंच मेवा, पंच मिठाई , कमल पुष्प, खीले, बतासे अर्पित करें। घी की अखण्ड ज्योति प्रातः काल से ही प्रज्वलित करें।आगे पढ़ें किन मंत्रों का करे जप……
लक्ष्मी के आठ रूपों का जाप।देवी लक्ष्मी के आठों रूपों का इन मंत्रों के साथ आवाह्न करें पूर्व दिशा से प्रारंभ कर घड़ी की सुई की दिशा के क्रम से आठों दिशाओं में पूजन करें पूर्व दिशा में :- ‘ॐ आद्यलक्ष्म्यै नमः’आग्नेय कोण में :- ‘ॐ विद्यालक्ष्म्यै नमः’दक्षिण दिशा में :- ‘ॐ सौभाग्यलक्ष्म्यै नमः’नैऋत्य कोण में :- ‘ॐ अमृतलक्ष्म्यै नमः’पश्चिम दिशा में :- ‘ॐ कामलक्ष्म्यै नमः’वायव्य कोण में :- ‘ॐ सत्यलक्ष्म्यै नमः’उत्तर दिशा में :- ‘ॐ भोगलक्ष्म्यै नमः’ईशान कोण में :- ‘ॐ योगलक्ष्म्यै नमः’घर में सोना ,चांदी, आभूषण, द्रव्य आदि देवी लक्ष्मी के समक्ष अर्पित करें। इन मंत्रों से देवी लक्ष्मी को प्रसन्न करें –*ॐ श्रींह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्मी नम*:।।*ॐ ह्रीं श्री क्रीं क्लीं श्री लक्ष्मी मम गृहे धन पूरये, धन पूरये, चिंताएं दूरये-दूरये स्वाहा*:।*ॐ श्रीं ल्कीं महालक्ष्मी