ज्योतिषाचार्य डॉ.मंजू जोशी ने बताया है कि मंगलवार को उत्पन्ना एकादशी मनाई जा रही है।उत्पन्ना शब्द से ही स्पष्ट हो रहा है प्राकट्य, उद्भूत उत्पन्ना एकादशी को देवी एकादशी श्री हरि के शक्ति स्वरूप में उत्पन्न हुई थी इसलिए इसे उत्पन्ना एकादशी कहा गया है। धार्मिक मान्यतानुसार एकादशी तिथि को माता एकादशी भगवान विष्णु के शक्ति स्वरूप ने दैत्य मुर का वध किया था।आगे पढ़ें उत्पन्ना एकादशी कथा……….
उत्पन्ना एकादशी कथा।धार्मिक मान्यतानुसार सतयुग में चंद्रावती नगरी में मुर सुरा नामक दैत्य राज करता था। राक्षस मुर अत्यंत बलशाली था उसने अपने पराक्रम से देव लोक पर आक्रमण किया। सभी देवताओं को पराजित कर इंद्रलोक पर स्वयं राज्य करने लगा। भगवान इंद्र के नेतृत्व में समस्त देवता गण कैलाश पर्वत पर भगवान भोलेनाथ के पास पहुंचे और अपनी व्यथा सुनाई भगवान शिव ने उन्हें कहा कि भगवान विष्णु इस कार्य में उनकी सहायता कर सकते हैं सभी देवतागण भगवान भोलेनाथ की बात से सहमत होकर श्री हरि विष्णु के सम्मुख पहुंचे और दैत्य मुर द्वारा किए गए अत्याचारों का वृतांत श्री हरि विष्णु को सुनाया व सहायता का आग्रह किया। श्री हरि विष्णु व दैत्य राज मुर के बीच दीर्घकालीन युद्ध चलता रहा भगवान विष्णु को युद्ध के बीच में ही निद्रा आने लगी वह विश्राम हेतु बद्रिकाश्रम में हेमवती नामक गुफा में चले गए। उनके पीछे दैत्य राज मुर भी गुफा में आ गया भगवान विष्णु को सोते हुए देख कर मुर ने उन पर प्रहार किया जैसे ही प्रहार करने हेतु शस्त्र उठाया श्री हरि के शरीर से एक सुंदर कन्या प्रकट हुई जिसने मुर के साथ युद्ध किया सुंदरी के प्रहार से मुर मूर्छित हो गया। मूर्छित होने पर कन्या ने दैत्य का सर धड़ से अलग कर दिया इस प्रकार मुर नामक दैत्य का अंत हुआ और देवताओं को सिंहासन प्राप्त हो गया।श्री हरि विष्णु ने सुंदर कन्या को प्रसन्न होकर एकादशी नाम दिया और वरदान मांगने को कहा तब देवी एकादशी ने कहा जब भी कोई जातक मेरा पूर्ण श्रद्धा भाव से उपवास रखेगा उसके समस्त पापों का नाश होगा, उसकी सभी इच्छाएं पूर्ण होंगी और वह निरोगी काया रहेगा। श्री हरि विष्णु ने सुंदरी एकादशी को वरदान दिया की हे देवी आज से प्रत्येक माह की एकादशी तिथि को जो भी भक्त उपवास रखेगा उसके समस्त पापों का नाश होगा और वैकुंठ लोक को प्राप्त करेगा। मुझे सब उपवास में एकादशी का उपवास सबसे प्रिय होगा। तभी से एकादशी उपवास का प्रारंभ हुआ।ज्योतिषाचार्य डॉ मंजू जोशी 839 5806 25