नैनीताल।पूर्व विधायक संजीव आर्य ने सोमवार को बयान जारी करते हुए कहा कि न्यायालय के आदेशानुसार उत्तराखंड प्रदेश मे सभी जिलाधिकारियों व डीएफओ को नेशनल व स्टेट हाईवे सहित अन्य सड़कों तथा नदियों के किनारे सरकारी व वन भूमि पर किया गया अतिक्रमण हटाने के निर्देश दिये गये है। जिस क्रम मे जनपद नैनीताल के विभिन्न राजमार्गों पर स्थानीय प्रशासन द्वारा गठित टीम के नेतृत्व मे अतिक्रमण ध्वस्तीकरण हेतु चिन्हीकरण कार्य गतिमान है। इस फैसले से जनपद नैनीताल मे सडक किनारे वर्षों से जीवन यापन कर रहे लोगों के घरों व प्रतिष्ठानों को हटाने से जिले के हजारों परिवार बेघर हो रहे है। पहाड़ों मे रोजगार के सीमित साधन है, किन्तु अचानक हुई इस तरह की कार्यवाही से वर्षों से जीवन यापन कर रहे लोगों पर रोजी रोटी का गहन संकट उत्पन्न हो जायेगा। तीन चार पीढ़ियों से चल रही दुकानों व मकानों को प्रशासन द्वारा अचानक चिन्हित कर हटाने के आदेश से पूरे इलाके मे अफरा तफरी का माहौल है। इनमे से कई भवन ऐसे भी है जो लीज व सरकारी आवंटन पर बने है, तथा समय-समय पर सरकार के विभिन्न योजनाओं से लाभान्वित भी है। सरकारी बिभागों ने ही इन्हे बिजली पानी जैसी सुबिधायें भी दी है, साथ ही बिभिन्न बैंकों से ऋण और सब्सिडी भी मिली है और आज भी कई प्रतिष्ठानों की ऋण आदायगी जारी है। ऐसे मे इन सभी को कैसे अवैध माना जा सकता है? सरकार एक ओर तो इनके विकास की बात कर रही है वहीं दूसरी और इनके आशियाने उजाड़कर इन्हे बेघर कर रहे है।आगे पढ़ें
कहा कि आवश्यक जगहों से अतिक्रमण हटाने के सभी हिमायती है किन्तु जो लोग पिछले 50-60 वर्षों व पीढ़ियों से अपना प्रतिष्ठान चला रहे है उन्हे अचानक हटाना किसी भी तरह से न्यायसंगत नहीं है। सरकार का कर्तव्य होता है कि वह मुसीबत आने पर राज्य की जनता के लिए जीवन यापन के तरीके खोजे और इसी परिपेक्ष्य मे सरकार को इस अतिक्रमण अभियान के खिलाफ न्यायालय के सामने परेशान जनता और अपना पक्ष मजबूती के साथ रखना चाहिए। अतिक्रमण हटाने के नाम पर इसी तरह की सालों से बसे लोगों को उजाड़ने की खबरें राज्य भर से आ रही हैं । राज्य भर के लोगों को एक साथ अतिक्रमण हटाने के नाम पर अस्थिर नहीं किया जा सकता है।आगे पढ़ें
कहा कि राज्य सरकार और मुख्यमंत्री उक्त मामले का तत्काल संज्ञान लेकर जनपद उत्तरकाशी सहित पूरे प्रदेश मे अतिक्रमण ध्वस्तीकरण की कार्यवाही पर जनहित को मध्यनजर रखते हुए सक्षम बैंच मे मजबूत पक्ष अथवा अध्यादेश के साथ विधानसभा मे कानून लाकर प्रभावित जनता के हितों को सुरक्षित रखने का काम करें।