देश के 151 शक्तिपीठों में शामिल चंपावत जनपद के टनकपुर ठूलीगाड़ पूर्णागिरि मंदिर में बीते शनिवार को मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने एक माह तक चलने वाले मेले का शुभारंभ किया।आगे पढ़ें मंदिर का इतिहास

पूर्णागिरि मंदिर का इतिहास।मान्यताओं के अनुसार जब माता सती ने आत्मदाह किया, तब भगवान शिव माता की मृत देह लेकर सारे ब्रह्मांड में तांडव करने लगे। सृष्टि में अव्यवस्था फैलने लगी।तब भगवान विष्णु ने संसार की रक्षा के लिए , माता सती की पार्थिव देह को अपने सुदर्शन चक्र से नष्ट करना शुरू किया। सुदर्शन चक्र से कट कर माता सती के शरीर का जो अंग जहाँ गिरा ,वहाँ माता का शक्तिपीठ स्थापित हो गया।उनमें से एक चंपावत जनपद के टनकपुर में मां पूर्णागिरि मंदिर है।एक अन्य कथा के अनुसार महाभारत काल मे प्राचीन ब्रह्मकुंड के पास पांडवों द्वारा विशाल यज्ञ का आयोजन किया गया।और इस यज्ञ में प्रयोग किये गए अथाह सोने से यहाँ एक सोने का पर्वत बन गया। 1632 में कुमाऊँ के राजा ज्ञान चंद के दरवार में गुजरात से श्रीचंद तिवारी नामक ब्राह्मण आये उन्होंने बताया कि माता ने स्वप्न में इस पर्वत की महिमा के बारे में बताया है।तब राजा ज्ञान चंद ने यहाँ मूर्ति स्थापित करके इसे मंदिर का रूप दिया।
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