धर्म-संस्कृति

जवाहर ज्योति मित्र पुरम दमुवाढूंगा में श्रीमद भागवत कथा का आयोजन

हलद्वनी। बस्तेश्वर श्री कृष्ण धाम मंदिर प्रांगण में जे.डी.एम. स्कूल के पास जवाहर ज्योति मित्र पुरम दमुवाढूंगा हल्द्वानी में श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ का आयोजन 16 दिसम्बर से 22 दिसम्बर तक चल रहा है l कल कथा का द्वितीय दिवस था इससे पहले दिन भव्य कलश यात्रा व पंचांग पूजन किया गया l भागवत अमृत पान करवाते हुए कथावाचक पंडित नीरज त्रिपाठी ने कहा कि शौनकादि ऋषियों को श्रीमद् भागवत कथा का महात्म्य बताते हुए सूत जी ने कहा कि जब सुखदेव जी राजा परिक्षित को कथा सुना रहे थे, तब देवता लोग अमृत कलश लेकर आए और कहा कि आप अमृतके बदले कथामृत हमें देदो। तब सुखदेव जी ने कहा कि कहां पारस पत्थर और कहां शीशे का टुकड़ा कहां सुधा और कहा श्रीमद् भागवत कथा। उन्होंने देवताओं को इसके लायक न समझते हुए उन्हें कथा नहीं सुनाई। सूत जी ने तब कहा कि स्वर्ग में सब सुख का साधन है पर भगवान की कथा नहीं होती। यह कथा देवताओं को भी दुर्लभ है और मनुष्य को सुलभ है। अतः हमें कथा श्रवण करके लाभ लेना चाहिए।
उन्होंने कहा कि नारद जी भ्रमण के लिए धरती पर आए और सभी तीर्थों में गए। उन्हें कहीं भी शांति नही मिली, तो वृंदावन में नवयुवती के रूप में भक्ति मिली, पर उसके पुत्र ज्ञान और वैराग्य बुद्धि अचेत अवस्था में मिले। उन्होंने जगाने का प्रयास किया। लेकिन सफल नहीं हो सकें। आकाशवाणी हुई कि सत्कर्म करो तब विशाल क्षेत्र में सनकादि ऋषियों ने बताया कि श्रीमद् भागवत श्रवण ही सबसे बड़ा सत्कर्म है। सनकादि ऋषि-मुनियों ने नारद जी को भागवत कथा सुनाई, तो ज्ञान और वैराग्य जवान हो गए। कथा श्रवण से भक्ति के साथ ज्ञान और वैराग्य की पुष्टि होती है साथ ही परमात्मा की प्राप्ति कराती है यह कथा गंगा भागीरथी गंगा से ही श्रेष्ठ है। भागवत कथा के दौरान यजमान गोविन्द सिंह रावत, ममता रावत व समस्त क्षेत्रवासी उपस्थित थे l प्रातः कालीन बेला में पूजा पाठ में आचार्य कमल पाण्डे, सचिन पाण्डे, पवन, जगदीश, हिमांशु तनुज व ललित द्वारा विधि विधान द्वारा नियमित देव पूजा व मंत्रोचारण किया जाता है l

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