धर्म-संस्कृति

शुक्रवार को कार्तिक पूर्णिमा:विष्णु भगवान ने लिया था मत्स्यवतार क्या है महत्व बता रही है ज्योतिषाचार्य डॉ.मंजू जोशी

धार्मिक मान्यतानुसार कार्तिक माह को सर्वाधिक पवित्र माह माना गया है कार्तिक माह का नाम वेदों में ऊर्ज ( ओज पूर्ण) नाम रखा था। वेदोत्तर काल में ऋषियों ने हिंदी महीनों के नाम नक्षत्रों के आधार पर रखने का निर्णय किया इस कारण पूर्णिमा कृतिका नक्षत्र में होने के कारण ऊर्ज माह का नाम कार्तिक माह रखा गया। धार्मिक मान्यतानुसार कार्तिक पूर्णिमा पर विष्णु भगवान ने मत्स्यवतार लिया था। इस कारण कार्तिक पूर्णिमा का धार्मिक महत्व बढ़ जाता है कार्तिक पूर्णिमा त्रिपुरारी पूर्णिमा भी कहा जाता है धार्मिक मान्यता है कि कि भगवान भोलेनाथ ने कार्तिक पूर्णिमा को त्रिपुरासुर नामक राक्षस का वध किया था। कार्तिक पूर्णिमा को देव दीपावली भी कहा जाता है।कार्तिक पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त पूर्णिमा तिथि प्रारंभ 15 नवम्बर 2024 प्रातः 6:21 से 16 दिसंबर 2024 रात्रि/प्रातः 3:00 तक।आगे पढ़ें महत्व……..

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महत्व व उपाय कार्तिक पूर्णिमा का धार्मिक और आध्यात्मिक रूप से विशेष महत्व है।पूर्णिमा स्नान करने और भगवान विष्णु की पूजा करने से भक्तों को अपार सौभाग्य की प्राप्ति होती है। कार्तिक पूर्णिमा पर गंगा नदी या किसी पवित्र नदी अथवा जलकुंड में स्नान व दीपदान करने से सभी तरह के कष्टों का नाश होता है। कार्तिक पूर्णिमा पर तुलसी पूजा से विशेष लाभ प्राप्त होते हैं।जिन जातकों को संतान उत्पत्ति में बाधा आ रही हो कार्तिक पूर्णिमा का उपवास रखने से संतति प्राप्त होती है।जिन भी जातकों का जन्म कुण्डली चंद्रमा कमजोर हो, या नीचस्थ हो या क्षीण हो या जिन जातकों की कुंडली में चंद्रमा राहु से पीड़ित हो केतु से पीड़ित हो या फिर चंद्रमा शनि के साथ विष दोष उत्पन्न हो रहा हो ऐसे जातकों को कार्तिक पूर्णिमा से उपवास प्रारंभ करने से चंद्रमा मजबूत होता है ऐसे जातकों को कार्तिक पूर्णिमा पर सफेद वस्तुओं का दान करना भी अति शुभ फल कारक होता है। सफेद वस्त्र, चावल, चीनी, दही, दूध ,मोती, शंख,चांदी, सफेद पुष्प भेंट आदि।ज्योतिषाचार्य डॉ मंजू जोशी

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