कुमाऊँ

मातृदिवस विशेष: कुमांऊनी रचना (ईजा)


रचनाकार -भुवन बिष्ट मौना, (रानीखेत),उत्तराखंड 

ईजा तू छै भौत महान, करंनूँ हांम त्यार गुणगान।       कोख में धरिं नौ म्हैंणा,      

करौं कष्ट तिलै पावणा। हाथ पकणि हिटण सिखाई, यौ दुणिं त्वील संसार दिखाई।        

घूरि बेर उठण तिलै बताई,        भौल मति लै तिलै सिखाई। जीवनौक हर बाटौ में, दिई ईजा तिलै ज्ञान।          ईजा तू छै भौत महान,          करंनूँ हांम त्यार गुणगान।।….  सिखाई ईजा भौल बुलाण, यौ दुंणिं में दिई पछाण।         दिई तिलै भाल संस्कार,         करौ उज्याव मिटाय अन्यार। पढा़य लेखायी ज्ञान बढ़ाई,दुणिं में हामौर मान बढ़ाई ।        मानवता लै तिलै बताई,         धरम करम तिलै सिखाई। आपण सुख करीं न्यौछार, दुंणिं में बणां भौल परिवार।         त्यौर कष्टौ कौ छौ सम्मान,         ईजा तू छै भौत महान।।……….  हर जनम त्यौर आँचल मिलो, हांम सदा करूँ यैक आश।        आयी कतु सुख दुःख लै,        बिता कष्ट दिन रात जास। ईजा आशीर्वादैल त्यौर, बढ़ी जीवनमें हामौर मान।        ईजा तू छै भौत महान,         करंनूँ हांम त्यार गुणगान।              

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