नैनीताल। बीते कुछ वर्षों में अचानक साइलेंट हार्ट अटैक,कार्डियक अरेस्ट की वजह से मौतों का सिलसिला लगातार बढ़ता जा रहा है। ऐसे में जागरूकता से इमरजेंसी मेडिकल हेल्प देकर किसी की जान बचाई जा सकती है। फ्रंटलाइन में काम करने वाले पत्रकारों को आज यही इमरजेंसी मेडिकल हेल्प की ट्रेनिंग बीडी पांडे जिला अस्पताल नैनीताल में वरिष्ठ चिकित्सक डॉ दुग्ताल,पीएमएस डॉक्टर एलएमएस रावत के नेतृत्व में दी गयी, साथ ही एनयूजेआई के सभी पत्रकारों का निःशुल्क स्वास्थ्य परीक्षण भी करवाया गया। वही इमरजेंसी मेडिकल हेल्प ट्रेनिंग के दौरान डमी के साथ डेमोंस्ट्रेशन किया गया तथा पत्रकारों को सीपीआर की प्राइमरी ट्रेनिंग दी गयी।आगे पढ़ें
वरिष्ठ फिजिशियन डॉ. एमएस दुग्ताल ने बताया कि सीपीआर कोई रॉकेट साइंस नही है जो सिर्फ डॉक्टर ही कर पाएं, बल्कि ये एक ऐसा तरीका है जो हार्ट अटैक या कार्डियक अरेस्ट होने पर अगर मरीज को मेडिकल इमरजेंसी हेल्प मिलने तक लगातार बिना रुके दिया जाए तो मरीज को बचाया जा सकता है। उन्होंने बताया कि सीपीआर का फुल फॉर्म कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन है। यह इमरजेंसी मेडिकल टेक्निक है जिसके जरिए किसी व्यक्ति की सांस या दिल के रुक जाने पर उसकी जान बचाई जा सकती है। जब किसी व्यक्ति का दिल धड़कना बंद कर देता है, तो उसे कार्डिएक अरेस्ट होता है। कार्डिएक अरेस्ट के दौरान, हृदय मस्तिष्क और फेफड़ों सहित शरीर के बाकी हिस्सों में खून पंप नहीं कर सकता है। उपचार के बिना मृत्यु मिनटों में हो सकती है। सीपीआर में मरीज की छाती पर दबाव बनाया जाता है जिससे ब्लड फ्लो को बेहतर बनाने में मदद मिल सकती है।अपने दोनों हाथों को मरीज की छाती के बीच में रखें और 100 से 120 प्रति मिनट की दर से जोर से छाती पर धक्का दें। हर धक्के के बाद छाती को अपनी सामान्य स्थिति में आने दें। मेडिकल इमरजेंसी हेल्प नहीं आने तक ऐसा करते रहें। इसके अलावा मरीज को माउथ ब्रीथिंग भी दी जाए ताकि उसके फेफड़ों में ऑक्सीजन पहुंचती रहे।आगे पढ़ें
पीएमएस एलएमएस रावत ने सीपीआर की महत्ता को बताते हुए कहा कि ये डूबते को तिनके का सहारा जैसा है,यदि समय रहते ये मदद मरीज को मिल जाये तो उसकी जान बचाई जा सकती है। उन्होंने ये भी कहा किजो लोग फ्रंटलाइन पर काम करते है जैसे पुलिसकर्मी, पत्रकार,आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, टीचर्स इत्यादि इन सबको सीपीआर की प्रॉपर ट्रेनिंग दी जानी चाहिए ताकि वक्त पढ़ने पर सार्वजनिक स्थानों,ऑफिस,स्कूलों,कार्यक्रम इत्यादि में सीपीआर की मदद से किसी की जान बचाई जा सके क्योंकि साइलेंट हार्ट अटैक या कार्डियक अरेस्ट कभी भी और किसी को भी कही पर भी आ सकता है।आगे पढ़ें
इस दौरान डॉ.अनिरुद्ध गंगोला,डॉक्टर मोनिका कांडपाल, डॉक्टर घुटवानी,डॉक्टर कमलेश गुरुरानी,रेडियोलॉजिस्ट डॉक्टर वर्मा,राष्ट्रपति पुरुस्कार से सम्मानित वरिष्ठ मेट्रन शशिकला पांडे और बीडी पांडे स्टॉफ का विशेष योगदान रहा। तथा वरिष्ठ पत्रकार डॉ गिरीश रंजन तिवारी,अफ़ज़ल हुसैन फौजी,डॉ नवीन जोशी, कैलाश जोशी,संजय तलवार,रविन्द्र पांडे,कंचन वर्मा,गौरव जोशी,संगीत बोरा,अजमल हुसैन, सुरेश कांडपाल, शीतल तिवारी,पंकज कुमार, गुंजन मेहरा,आकांक्षी माडमी,सीमा नाथ,सोनाली मिश्रा,दीपिका,शैलजा,एसएम इमाम,गंगा बिष्ट,तेज़ सिंह,दिनेश जोशी, प्रदीप कुमार,दिव्यन्त साह,रमेश चंद्रा,भूपेन रौतेला, नवीन पालीवाल,सहित तमाम पत्रकारों के साथ ईशा मारुति साह,ताल चैनल की टीम मौजूद रही।