अल्मोड़ा।जैव विविधता जोखिम व बढ़ते मानव-वन्यजीव संघर्ष की रोकथाम विषय को लेकर आयोजित कार्याशाला का समापन हो गया। इस तीन दिवसीय कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य युवाओं के बीच वैज्ञानिक साक्षरता व क्षेत्रीय विज्ञान मीडिया नेटवर्क का विकास कर इस विषय पर समझ विकसित करना था।राष्टीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार एवं उत्तराचंल जैविक उत्पादक एवं प्रौद्योगिकी विकास द्वारा कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला में विभिन्न जिलों से आये दो दर्जन से अधिक युवाओं ने प्रशिक्षण प्राप्त किया।आगे पढ़ें
इस दौरान विशेषज्ञों ने बताया कि किस तरह युवा वर्ग वैज्ञानिक जानकारियों के माध्यम से स्थानीय समुदाय को पर्यावरणीय समस्याओं को रोकने में मददगार बन सकते हैं। साथ ही संदर्भ व्यक्तियों द्वारा जंगलों में फलदार व चौड़ी पत्ती वाले पौधों का रोपण के बारे में जागरूक किया गया।विषेशज्ञों ने कहा कि इस कार्यशाला में प्रशिक्षण प्राप्त कर युवा जैव विविधता को समझ पाएंगे। जिससे आगे भविष्य में जैवविधता को बचाने में वह अपना योगदान दे सके। इस दौरान प्रशिक्षणार्थियों ने वैज्ञानिक तकनीकों की जानकारियों के नये आयामों के साथ ही क्षेत्रीय जैवविविधता के महत्व के बारे में जानकारी प्राप्त की।कार्यशाला में दावानल से जंगली पशु-पक्षियों व जैवविविधता को होने वाले नुकसान के बारे में जागरूक करते हुए प्रशिक्षणार्थियों को उसके रोकथाम के बारे में जागरूक किया गया।आगे पढ़ें
प्रशिक्षण में परियोजना समन्वयक राजेश पंत, संदर्भ व्यक्ति डाॅ. जी.सी दुर्गापाल, सचिन, विमल कुमार वर्मा, शैलेन्द्र टम्टा समेत विभिन्न संस्थाओं के विशेषज्ञों ने प्रतिभाग किया।कार्यशाला में याशिका बिष्ट, महिमा पंत, प्रेम लटवाल, दीपक पंत, निकिता, चाॅंदनी, नवल, नीरज कुमार, प्रकाश बाराकोटी, भावेश कुमार, ललित, राकेश, दीपांशु, नीमा, मनीषा, जीतेंद्र, गुड्डू, वंशराज वर्मा समेत अन्य कई प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया।