धर्म-संस्कृति

10वीं सदी में स्थापित स्वर्गाश्रम बिनसर महादेव मंदिर रानीखेत 1970 से जल रही है अखंड ज्योति

अल्मोड़ा जनपद के रानीखेत से लगभग 20 किमी की दूरी पर बिनसर महादेव मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। मंदिर का निर्माण10 वीं सदी में किया गया था।

मंदिर का इतिहास:

जनश्रुति के अनुसार सोनी गांव में मनिहार लोग रहते थे। उनमें से एक की दुधारु गाय रोजाना बिनसर क्षेत्र में घास चरने जाती थी । घर आने पर इस गाय का दूध निकला रहता था । एक दिन मनिहार गाय का पीछा करने चल दिया। उसने देखा कि जंगल में एक शिला के ऊपर खड़ी होकर गाय दूध छोड़ रही थी और शिला दूध पी रही थी। इससे गुस्साए मनिहार ने गाय को धक्का देकर कुल्हाड़ी के उल्टे हिस्से से शिला पर प्रहार कर दिया | इससे शिला से रक्त की धार बहने लगी। उसी रात एक बाबा ने स्वप्न मैंआकर मनिहारों को गांव छोड़ने को कहा और वह गांव छोड़कर रामनगर चले गए।

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जनश्रुति के अनुसार सौनी बिनसर के निकट किरोला गांव में एक 65 वर्षीय नि:संतानी वृद्ध थे। उन्हें सपने में एक साधु ने दर्शन देकर कहा कि कुंज नदी के तट की एक झाड़ी में शिवलिंग पड़ा है। उसे प्रतिष्ठित कर मंदिर का निर्माण करो। उस व्यक्ति ने आदेश पाकर मंदिर बनाया और उसे पुत्र प्राप्त हो गया। पूर्व में इस स्थान पर छोटा सा मंदिर स्थापित था। वर्ष 1959 में श्री पंच दशनाम जूना अखाड़ा से जुड़े ब्रह्मलीन नागा बाबा मोहन गिरि के नेतृत्व में इस स्थान पर भव्य मंदिर का जीर्णोद्घार शुरू हुआ। इस मंदिर में वर्ष 1970 से अखंड ज्योति जल रही है। मंदिर की व्यवस्थाएं अभी 108 श्री महंत राम गिरि महाराज  जी देख रहे हैं।

आभार फेसबुक पेज अतुल उत्तराखंड 

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