हिमानी बोहरा
बैंडिट क्वीन में विक्रम मल्लाह की यादगार भूमिका निभाई थी।
नैनीताल। 10 अगस्त 1961 को बड़ा बाजार मल्लीताल में पिता हरीश पांडे और माता रेवा देवी के घर जन्मे और अपने अभिनय से अंतर्राष्ट्रीय पटल पर नैनीताल ही नहीं बल्कि पूरे प्रदेश का नाम रोशन करने वाले अभिनेता निर्मल पांडे की आज पुण्यतिथि है।
निर्मल पांडे ने साल 2002 में ‘जज्बा’ नामक एल्बम भी लॉन्च की। इसके साथ ही उन्होंने लेखक धर्मवीर भारती के नाटक ‘अंधायुग’ को भी निर्देशित किया। साथ ही फिल्म ‘वन टू का फोर’ में भी यादगार भूमिका निभाई थी।
शुरुआत में कुछ फिल्मों में छोटी भूमिकाएं करने के बाद निर्मल पांडे को शेखर कपूर की फिल्म बैडिंट क्वीन (1994) में बड़ा ब्रेक मिला।
इसके बाद वर्ष 1996 में अमोल पालेकर द्वारा निर्देशित दायरा फिल्म में निर्मल पांडे ने एक अभिनेत्री का किरदार निभाया। जिसके लिए 1997 में उन्हें फ्रांस का प्रसिद्ध वालेंतिये पुरस्कार दिया गया। सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के लिये यह पुरस्कार पाने वाले निर्मल विश्व के पहले अभिनेता थे।
तारा ग्रुप्स के साथ उन्होंने लंदन में 125 नाटकों की लम्बी सीरीज की थी। “बैंडेट क्वीन”, “गॉडमदर”, “दायरा”, “औजार”, “ट्रेन टू पाकिस्तान”, “इस रात की सुबह नहीं”और भी न जाने कितनी फिल्मों को गिनाया जाय जिनमें निर्मल पांडे की सशक्त उपस्थिति नज़र आती है। हिन्दी सिनेमा का बड़ा स्टार बनने के बाद भी नैनीताल के लोगों के लिये निर्मल हमेशा उनके परवा डॉन या नानू दा ही रहे।
एक सामान्य पहाड़ी की तरह निर्मल ने भी अभिनय की शुरुआत रामलीला और स्कूल में ही की। प्राथमिक से लेकर इंटर तक की उनकी पढ़ाई नैनीताल में ही हुई। उसके बाद उन्होंने पोस्ट ग्रेजुएशन तक की पढ़ाई नैनीताल डी.एस.बी परिसर से की।
निर्मल पांडे ने 22 फरवरी को मशहूर कार्टूनिस्ट आर के लक्ष्मण के साथ अपनी आने वाली फिल्म ‘लाहौर’ की स्पेशल स्क्रीनिंग देखने की योजना बनाई थी। 19 मार्च को रीलीज होने वाली फिल्म ‘लाहौर’ प्रतिभावान अभिनेता की आखिरी फिल्म थी। 18 फरवरी 2010 को मुंबई में दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया।