एक अगस्त मंगलवार को पूर्णिमा का उपवास हैअधिक मास में किए जाने वाला पूर्णिमा उपवास विशेष फल प्रदान करने वाला माना गया है अधिक मास को भगवान श्री हरि विष्णु(पुरुषोत्तम) को समर्पित माह माना गया है। अतः यह पूर्णिमा उपवास अत्यंत शुभ फल प्रदान करने वाला है अधिक मास पूर्णिमा उपवास रखने से सभी इच्छित मनोकामनाएं पूर्ण होगी, वैभव ऐश्वर्य में वृद्धि होगी, एवं सौभाग्य में वृद्धि होगी। हमारी जन्म कुंडली के अनुसार चंद्रमा मन का कारक ग्रह है अतः पूर्णिमा का उपवास रखने से मानसिक शांति एवं आध्यात्मिकता का विकास होता है तथा मन मस्तिष्क में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
मूहूर्त पूर्णिमा। तिथि प्रारंभ 1 अगस्त 2023 प्रातः 3:53 से 1/2 अगस्त रात्रि 12:02 मिनट तक। पूर्णिमा पूजा विधि।पूर्णिमा के दिन किसी पवित्र नदी में स्नान करने का विशेष महत्व माना गया है। यदि आप नदी में स्नान ना कर पाएं तो घर पर ही गंगाजल से स्नान कर सकते है। स्नान करने के उपरांत सूर्य देव को ऊं भास्कराय नम: मंत्र के साथ जल अर्पित करें। उपवास का संकल्प लें। भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी को गंगाजल से स्नान कराने के बाद पीतांबर, रोली, कुमकुम, अक्षत, पीले फूल अर्पित करें। भगवान विष्णु को भोग लगाएं घी के दीपक से आरती करें व सत्य नारायण की कथा का पाठ करे। व रात्रि में चंद्रमा को चांदी या स्टील के बर्तन से जल अर्पित करें व विधि विधान से चंद्र देव की पूजा करें। चंद्रोदय के समय चन्द्रमा को कच्चे दूध में चीनी और चावल मिलाकर “ॐ स्रां स्रीं स्रौं स: चन्द्रमसे नम:” या ” ॐ ऐं क्लीं सोमाय नम: का 28 बार जाप करने से लाभ होगा।
पूर्णिमा का दान जिनका चंद्रमा कमजोर स्थिति में हो उन सभी को पूर्णिमा पर सफेद वस्तुओं का दान करना चाहिए ( सफ़ेद वस्त्र, चावल, चीनी, दही,दूध, मोती आदिडॉ.मंजू जोशी ज्योतिषाचार्य 8395806256