धर्म-संस्कृति

आज पितृ विसर्जन अमावस्या व साल का अंतिम सूर्य ग्रहण पर विशेष:ज्योतिषाचार्य डॉ. मंजू जोशी

14 अक्टूबर शनिवार को पितृ विसर्जन अमावस्या व 2023 का अंतिम सूर्य ग्रहण लगने जा रहा है। यह कंकणाकृति सूर्यग्रहण है। यह ग्रहण कन्या राशि चित्रा नक्षत्र में लगेगा।सूर्य ग्रहण भारत में नहीं दिखाई देगा एवं इसका कोई धार्मिक महत्व भी नहीं है तथा इस सूर्य ग्रहण पर किसी भी प्रकार का कोई सूतक नहीं लगेगा।यह सूर्य ग्रहण केवल उत्तर पश्चिम,मध्य व दक्षिण अमेरिका में दिखाई देगा।वैज्ञानिक दृष्टिकोण से सूर्य ग्रहण को समझने का प्रयास करते हैं– *जब चंद्रमा, सूर्य और पृथ्वी के मध्य में आ जाता है तो पृथ्वी पर सूर्य की किरणें नहीं पहुंच पाती इसी खगोलीय घटना को सूर्य ग्रहण कहा जाता है। ग्रहण का समय भारतीय समयानुसार रात्रि 9:40 पर ग्रहण स्पर्श होगा ग्रहण का मध्य होगा 11:29 पर एवं मोक्ष 1:19 मिनट पर होगा।सूर्य ग्रहण पर उपाय। जैसे कि बताया गया है कि भारत में सूर्य ग्रहण का धार्मिक महत्व नहीं है परंतु जिन जातकों की कुंडली में सूर्य ग्रहण दोष है सूर्य राहु या केतु (सूर्य+राहु, सूर्य+केतु) से पीड़ित है ऐसे जातकों को सूर्य ग्रहण पर स्नान, दान करना चाहिए। आदित्य हृदय स्त्रोत का पाठ करना अत्यधिक शुभ फल कारक रहेगा। सूर्य ग्रहण के प्रभाव को कम करने हेतु लाल वस्तुओं का दान करें लाल वस्त्र, गेहूं, मसूर, तांबे का पात्र, स्वर्ण प्रतिमा, लाल फल, लाल पुष्प, तिल का तेल, नारियल, दक्षिणा इत्यादि।आगे पढ़ें

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ग्रहण काल में गर्भवती महिलाओं को विशेष सावधानी बरतने की आवश्यकता होगी। किसी भी धारदार हथियार का प्रयोग करने से बचें। सुई का प्रयोग ना करें। निद्रा से परहेज करें। इसके अतिरिक्त धार्मिक पुस्तकों का अध्ययन करें। गीता रामायण का पाठ करें।आगे पढ़ें

सर्वकार्यार्थ पितृ विसर्जन शनिवार 14 अक्टूबर को श्राद्ध पक्ष का समापन होगा।सर्वपितृ अमावस्या में अज्ञात तिथि श्राद्ध भी किया जाता है यानी जिन पूर्वजों के देहावसान की तिथि ज्ञात न हो उन सभी का श्राद्ध सर्वपितृ अमावस्या को किया जाता है। गरुड़ पुराण के अनुसार अमावस्या तिथि पर पितृगण वायुरूप में अपने पुत्र–पौत्र के घर के मुख्य द्वार पर भोजन की अभिलाषा में उपस्थित रहते हैं और सूर्यास्त तक शूष्म रुप में वहीं उपस्थित होते है। भोजन (श्राद्ध) न मिलने पर सूर्यास्त के पश्चात  निराश होकर दुःखित मन से अपने लोक को चले जाते हैं। अतः अमावस्या के दिन प्रयत्नपूर्वक सात्विक भोजन बनाकर पितरों के निमित्त ब्रह्मभोज अवश्य करना चाहिए। यदि किसी कारणवश महालय श्राद्ध में तर्पण, ब्रह्मभोज, पिंडदान न करा पाए तो सर्वपितृ अमावस्या को पंचबली भोग गाय, कुत्ता, कौआ, देव और चीटी लगाने से भी पितृ तृप्त हो जाते हैं। देव भोज में केवल खीर अर्पित करेंगे।ज्योतिषाचार्य डॉ मंजू जोशी 8395806256

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