उन आंखों में गुरुत्व है,जब भी उनकी आंखों से गुजरती जिम्मेदारियां आर–पार होती हैं तो घर्षण होता है,और उनकी आंखों में कैद हो जाता है दर्द।। उन्होंने कभी जिक्र नहीं किया अपनी जिम्मेदारियों का,जिनकी आंखें जिम्मेदारी के बोझ से थकी-थकी सी हैं,जिनमें है पश्चाताप,जिम्मेदारियां एक बड़ी हार।।मैं उन आंखों में नहीं देख पाई गहरा,नहीं पहुंच पाई उस गुरुत्व तक,मैं अक्सर झुक जाती हूं,उन आंखों की बराबरी करने की असमर्थता से।।
वे उनकी आंखे हैं,शायद वो पहले पिता हैं,बाद में इंसान: सुहानी जोशी
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