एक मासूम नन्ही सी गुड़िया थी में,
अपने बाबा की खुशियों की पुड़िया थी में!
हिंदू मुस्लिम से मुझको ग़रज़ कुछ न थी,
जुर्म इतना था मासूम बिटिया थी में!
नोच कर ज़ालिमों ने मुझे, कर दिया इस जहॉं से विदा
आभार बबिता पुनेठा पनगड़िया















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