कुमाऊँ

हरेले की हुई बुवाई,साल में तीन बार मनाया जाता है हरेला पर्व,सावन के माह वाला माना जाता है महत्वपूर्ण

नैनीताल। कुमाऊं मंडल का लोकप्रिय त्यौहार हरेला 17 जुलाई संक्रांति को मनाया जाएगा। जिन लोगों का हरेला 10वें दिन में कटता है उन लोगो ने शनिवार को तथा जिन लोगो का 9वे दिन में हरेला काटा जाता है वे उन लोग ने रविवार को बुवाई की। हरेला बुवाई  से एक दिन पहले साफ मिट्टी को छानकर धूप में सुखाया जाता है, हरेला के बुवाई के लिए पांच या सात अनाजों के द्बारा बुवाई की जाती है।और फिर 9वे व 10वे दिन हरेले के दिन इसकी कटाई की जाती है।आगे पढ़ें,…..

हरेला लोकप्रिय त्यौहार साल में तीन बार मनाया जाता है। चैत्र मास के पहले दिन बोया जाता है और दशमी को काटा जाता है। दूसरा आशिवन मांस के पहली नवरात्रि में बोया जाता है,और दशहरे में काटा जाता है। और तीसरा सावन के माह में मनाया जाता है। सबसे महत्वपूर्ण हरेला सावन माह का माना जाता है, सावन के महीने को भगवान भोलेनाथ का प्रिय माह है, इसलिए हरेले के इस पर्व को कहीं-कहीं काली के नाम से भी जाना जाता है, उतराखड में शिब का वास माना जाता है इसलिए सावन का हरेला पर्व सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण माना जाता है। उत्तराखंड के कुमाऊं में हरेला पाऱंपरिक लोकप्रिय त्यौहार की  तरह मनाया जाता है,वही हिमाचल प्रदेश में इसे हरियाली पर्व के नाम से  मनाया जाता है।हरेला त्यौहार के दौरान पौधारोपण भी किया जाता है।प्रताप सिंह नेगी समाजिक कार्यकर्ता ने बताया उत्तराखंड प्रथक राज्य के हमारे सभी लोकप्रिय व पाऱपरिक त्यौहारों में गिरावट आ रही है ऐसे हरेला पारंपरिक त्यौहार में भी धीरे-धीरे बदलाव व गिरवाट आ रही है।

यह भी पढ़ें 👉  इंसानियत की मिसाल नंदा देवी महोत्सव:डोला भृमण में मुस्लिम भाइयों ने भी की सेवा
To Top

You cannot copy content of this page