नैनीताल। प्रदेश की सभी छावनी परिषद् जल्द ही नगर निगम और निकाय में शामिल होंगे। इसकी प्रक्रिया अभी चल रही है। इस सम्बन्ध में एक पत्र सभी कैन्ट बोर्ड के कार्यालयों में भेजा गया है। नागरिक क्षेत्र को दी जाने वाली सुविधाओं के लिए निर्मित सम्पत्तियों को नगर निगम और नगरपालिकाओं को बिना शुल्क हस्तान्तरित कर दिया जायेगा। कैन्टोमेन्ट बोर्ड की सारी सम्पत्तियां और दायित्व भी प्रदेश सरकार के नगर निगम और नगर पालिका को बिना शुल्क हस्तान्तरित की जायेगी।आगे पढ़ें….
पहले चरण में देहरादून और क्लेमेंट टाउन बोर्ड को शामिल किया गया है। सम्पूर्ण नागरिक क्षेत्र प्रदेश की नगर निगम और नगर पालिका को सौंप दिये जायेंगे लेकिन जहां कहीं भी भारत सरकार का स्वामित्व अधिकार है उसे भारत सरकार द्वारा बरकरार रखा जायेगा। नागरिक क्षेत्र की जमीन का मालिकाना हक केन्द्र सरकार के पास ही रहेगा। लेकिन नगर पालिका व नगर निगम नागरिक क्षेत्र के नागरिकों को सिर्फ पानी, बिजली और सफाई आदि मूलभूत सुविधायें ही उपलब्ध करायी जायेंगी। ऐसी दशा में नगर निगम और नगर पालिका को हस्तान्तरित जमीन का स्वामित्व केन्द्र सरकार के पास ही रहेगा। जिसका कोई फायदा आम नागरिकों को नहीं मिलेगा। नागरिकों के घरों की जमीनों के पट्टे नहीं बन सकेंगे और ना ही लोकल स्थानीय स्तर पर नगर पालिका मकान के नक्शे पास कर पायेगी। रक्षा मंत्रालय के इस निर्णय के बाद नैनीताल छावनी में कार्यरत करीब 80 संविदा कर्मचारियों को बेरोजगार होने का डर सताने लगा है।आगे पढ़ें….
छावनी परिषद् नैनीताल के सीनियर कंसलटैन्ट कुँवर सिंह कबडोला ने बताया कि नैनीताल कैन्ट के मुख्य कार्यकारी अधिकारी वरूण कुमार इस विषय में दिल्ली बैठक में शामिल हुए। मंत्रालय में हुई बैठक से पता चला है कि जितनी भी स्वीकृति कैन्ट बोर्ड या डी०ई०ओ० ऑफिस देता है वह सब मंत्रालय देगा और नगर पालिका और नगर निगम को स्वीकृति देने का कोई हक नही होगा। उन्होने आश्वासन दिया कि कर्मचारियों और जनता के साथ अन्याय नही होगा। इसमें अन्तिम निर्णय मंत्रालय का होगा।