शिक्षा

राजकीय महाविद्यालय शीतलाखेत की छात्राएं ऊंची उड़ान भरने को है तैयार

अल्मोड़ा/रानीखेत। प्रदेश में अब धीरे-धीरे शिक्षा का स्तर काफी बेहतर होता जा रहा है।आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में बेटी की शिक्षा की तुलना में बेटे की शिक्षा को प्राथमिकता दी जाती है।हालांकि अब काफी हद तक ग्रामीण क्षेत्रो में भी लड़कियां उच्च शिक्षा ग्रहण कर अपने अपने क्षेत्रों में बेहतर कार्य कर रही है।लेकिन उच्च शिक्षण संस्थान नही होने व सुविधाओं के आभाव में ग्रामीण क्षेत्रो की लड़कियां उच्च शिक्षा से वंचित रह रही है।आगे पढ़ें....

Ad

वही अल्मोड़ा जनपद रानीखेत तहसील के राजकीय महाविद्यालय शीतलाखेत में आस-पास के दर्जनों गांव के छात्र उच्च शिक्षा ग्रहण कर रहे है।कठिन परिस्थितियों में घंटो पैदल चल लड़किया प्रोफेसर व पुलिस अधिकारी आदि बनने का सपना लिए शिक्षा ग्रहण करने कॉलेज पहुंचती है।आधा समय कॉलेज आने-जाने में खत्म हो जाने के बाद भी लड़िकयां घर का कार्य कर हर रोज चार पांच घंटे पढ़ाई कर प्रतियोगी परीक्षाओं की भी तैयारी कर रही है।उच्च शिक्षा के लिए अगर इनको परिजनों का पूरा सहयोग मिल रहा है तो वही कॉलेज में शिक्षक भी लड़कियों के भविष्य को लेकर से संजीदा है।जिसके चलते लडकिया अपने सुनहरे भविष्य की ओर कदम बढ़ा रही है तो वही जिम्मेदार नागरिक होने के चलते समाज के लिए अभिशाप बन चुका नशे का नाश करने का प्रण भी ले रही है।आगे पढ़ें…..

यह भी पढ़ें 👉  नैनीताल मित्र पुलिस की कुशल रणनीति से सैक्स रैकेट के एक बड़े गिरोह का हुआ पर्दाफाश

ग्रामीण क्षेत्रो में शिक्षा व्यवस्था को बेहतर करना जरुरी: सहायक प्रो. इतिहास मंजरी जोशी।ग्रामीण क्षेत्रों में स्कूल एवम् डिग्री कॉलेज तो खोल दिए गए है परंतु उपयुक्त बुनियादी ढांचे का अभाव है। ग्रामीण क्षेत्रों में अवसंरचना के साथ ही शैक्षिक जागरूकता में भी कमी है।विद्यार्थियों की नामांकन दर व उपस्थिति भी कम रहती है,ड्रॉप आउट दर अधिक है।अभिभावकों में शैक्षिक जागरूकता के संबंध में विरोधाभास दिखायी देता है।शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों की शिक्षा व्यवस्था की गुणवत्ता में काफी अंतर है।शैक्षिक जागरूकता पर फोकस करना होगा।ग्रामीण समाज को लिंग भेद की संकुचित सोच से बाहर निकलने हेतु प्रयास करने होंगे,शिक्षा में सुधार हेतु अभिभावक,अध्यापक,समाज और सरकार की  प्रतिबद्धता अपरिहार्य है।दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्रों में अध्यापकों की उचित व्यवस्था करनी होगी साथ ही शिक्षकों को अपने कर्तव्यों का निष्ठापूर्वक निर्वहन करने पर ही नगरीय परिवेश के समान गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान कर सकते है।ऑनलाइन शिक्षा व्यवस्था हेतु नेटवर्क की उपलब्धता,तकनीकी बुनियादी ढांचे की व्यवस्था की जानी चाहिए।इस प्रकार ग्रामीण समाज में शैक्षिक जागरूकता के जरिये ग्रामीण क्षेत्रों की शिक्षा व्यवस्था को बेहतर किया जा सकता है।आगे पढ़ें क्या करना चाहती है छात्राएं

बड़गल भट्ट गांव निवासी पूरन भट्ट की पुत्री बीए की छात्रा कविता भट्ट 8 किमी का पैदल सफर तय करने का बाद कॉलेज पहुंचती है।आधा समय आने जाने में व घर का कार्य में निकल जाने के वावजूद  पढ़ाई के साथ-साथ प्रतियोगी परीक्षाओं की भी तैयारी कर रही है।पुलिस में भर्ती होकर महिलाओं पर हो रहे अत्याचार को रोकना उनका मकसद है।
नौला गांव निवासी काश्तकार श्यामलाल की पुत्री बीए फाइनल की छात्रा बबिता आर्य प्रोफेसर बनने का सपना लिए हर रोज 6 किमी का पैदल सफर तय कर कॉलेज पहुंचती है। शिक्षक बनकर ग्रामीणों क्षेत्रो में घट रहे शिक्षा के स्तर में सुधार लाना व स्कूलों के आभाव के चलते शिक्षा ग्रहण नही कर पा रहे बच्चो के लिए स्कूल खोलना मकसद है।
देवलीखान निवासी भुवन तिवारी की पुत्री बीए की छात्रा कविता तिवारी पांच किमी का पैदल सफर तय कर कॉलेज जाती है।बीए के बाद बीएड कर प्रोफेसर बनकर शिक्षा की अलख जगाने का सपना लिए हर रोज चार घंटे पढ़ाई करती है।मोबाइल फोन के इस्तेमल को लेकर उनका कहना है कि फोन से पढ़ाई में काफी मदद मिलती है।तो वही अब ऑनलाइन पढ़ाई के चलते बच्चो के हाथों में भी फोन आ गए है जिसका कई बार बच्चे गलत इस्तेमाल भी कर लेते है।
खरकिया मटीला निवासी मजदूर हरेंद्र बिष्ट की पुत्री बीए द्वितीय वर्ष की छात्रा प्रियंका हर रोज पांच किमी का पैदल सफर तय कर कॉलेज पहुंचती है।पुलिस अधिकारी बनने का सपने लिए वे नियमित चार घंटे पढ़ाई के साथ पुलिस भर्ती की तैयारियों में भी जुटी हई है।पिता हरेन्द्र बीते तीन वर्षो से पैरालाइज है।उसके वावजूद प्रियंका अपने करियर के प्रति गंभीर है।पुलिस अधिकारी बनकर नशे को जड़ से खत्म करना उनके जीवन का मकसद है। साथ ही प्रियंका ने कहा कि लड़कियों को भी उनके सपने पूरे करने का मौका दिया जाना चाहिए।और शादी में जल्दबाजी जैसी पुरानी प्रथा को भी खत्म करना होगा।

Quis autem vel eum iure reprehenderit qui in ea voluptate velit esse quam nihil molestiae consequatur, vel illum qui dolorem?

Temporibus autem quibusdam et aut officiis debitis aut rerum necessitatibus saepe eveniet.

About

Kumaun vani (कुमाऊं वाणी) देवभूमि उत्तराखंड के कुमांउ व गढ़वाल के गांव-गधेरों की समस्याओ, ताजा खबरों व विलुप्त हो रही कुमांउनी व गढ़वाली संस्कृति को उजागर करने का एकमात्र डिजिटल माध्यम है। अतः आप भी अपने विचार व अपने क्षेत्र की समस्याओं व समाचारों को प्रकाशित करने के लिए हमसे [email protected] तथा दूरसंचार व व्हाट्सएप नम्बर 8171371321 पर सम्पर्क कर सकते है।

(खबरों की विश्वसनीयता ही हमारी पहचान है)

संपादक –

नाम: हिमानी बोहरा
पता: मझेड़ा, नैनीताल, उत्तराखण्ड
दूरभाष: +91 81713 71321
ईमेल: [email protected]

© 2022, Kumaun Vani (कुमाऊँ वाणी)
Get latest Uttarakhand News updates in Hindi
Website Developed & Maintained by Naresh Singh Rana
(⌐■_■) Call/WhatsApp 7456891860

To Top

You cannot copy content of this page