चंपावत जनपद के देवीधुरा में माँ बाराही मंदिर में रक्षाबंधन के दिन होने वाले प्रसिद्ध बग्वाल मेले को पत्थर मार मेला भी कहा जाता है। इस मेले को देखने देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु देवीधुरा पहुँचते हैं।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस मेले को राजकीय मेला घोषित करने की घोषणा की थी। बीते रोज मेला कमेटी के संरक्षक लक्ष्मण सिंह लमगड़िया के नेतृत्व कमेटी के पदाधिकारियों ने देहरादून में मुख्यमंत्री से मुलाकात कर घोषणा याद दिलाई, जिस पर सीएम ने तत्काल शासनादेश जारी करने के निर्देश दिए। चंपावत के जिलाधिकारी नरेंद्र भंडारी ने शासनादेश जारी होने की पुष्टि की है।
प्रचलित मान्यताओं के अनुसार पौराणिक काल में चार खामों के लोगों द्वारा अपनी आराध्या बाराही देवी को मनाने के लिये नर बलि देने की प्रथा थी। माँ वाराही को प्रसन्न करने के लिये चारों खामों के लोगों में से हर साल एक नर बलि दी जाती थी। बताया जाता है कि एक साल चमियाल खाम की एक वृद्धा परिवार की नर बलि की बारी थी। परिवार में वृद्धा और उसका पौत्र ही जीवित थे। महिला ने अपने पौत्र की रक्षा के लिये माँ बाराही की स्तुति की। माँ बाराही ने वृद्धा को दर्शन दिये और मंदिर परिसर में चार खामों के बीच बग्वाल खेलने के निर्देश दिये,तब से बग्वाल की प्रथा शुरू हुई थी,हालांकि अब पत्थरो की जगह फूल एक दूसरे पर फेंके जाते है।