उत्तराखण्ड

संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल हो कुमाऊनी,गढ़वाली व जौनसारी

गरमपानी/बेतालघाट। संविधान की आठवीं अनुसूची में कुमाऊनी, गढ़वाली तथा जौनसारी भाषा को सम्मलित करने के लिए दिल्ली तथा फरीदाबाद में कुमाऊनी तथा गढ़वाली भाषा साहित्य एवं सांस्कृतिक समिति के तत्वाधान में कुमाऊनी भाषा पर गोष्ठी और कवि सम्मेलन के कार्यक्रम का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम एनआईटी फरीदाबाद स्थित डीएवी शताब्दी कॉलेज में किया गया ।कार्यक्रम में सभी भाषाविदो ने कुमाऊनी भाषा के इतिहास, उसकी उत्पत्ति आगे उसकी दशा और दिशा पर प्रकाश डाला। उसके बाद कुमाऊनी कवियों द्वारा काव्य पाठ किया गया।
समिति के उपाध्यक्ष सुरेंद्र हाल्सी ने समिति के उद्देश्य और क्रियाकलापों पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि वह लगातार पिछले कई वर्षों से कुमाऊनी गढ़वाली और जौनसारी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने हेतु प्रयासरत हैं। उन्होंने यह भी बताया की दिल्ली एनसीआर में उनकी समिति से जुड़े लोग वर्ष 2015 से लगातार मई और जून माह में एनसीआर में विभिन्न जगहों पर कुमाऊनी, गढ़वाली और जौनसारी भाषा की कक्षाएं चलाते है। उन्होंने बताया कि इस समिति के गठन का मुख्य उद्देश्य भी यही है कि हमारी भाषाएं आने वाली पीढ़ी में आगे जा कर इस बोली को अमल में लाये तथा आने वाली पीढ़ी इसे बोलने और समझने का प्रयास करे। कार्यक्रम के अंत में समिति के अध्यक्ष मनोज उप्रेती ने सभी अतिथियों का कवियों का और आयोजन में सहयोग करें सभी का आभार व्यक्त किया ।

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इस दौरान कार्यक्रम में डाक्टर मनोज उप्रेती, सुरेन्द्र हाल्सी, सुरेंद्र सिंह रावत, संतोष जोशी, राजू पांडे, नीरज बवाड़ी, वरिष्ट पत्रकार चारु तिवारी, फिल्म समीक्षक मनोज चंदोला, प्रोफेसर प्रकाश उप्रेती, प्रोफेसर देवी प्रसाद भारद्वाज, प्रोफेसर फुलोरिया, लोकगायिका आशा नेगी, कवि साहित्यकार पूर्ण चंद्र कांडपाल , वरिष्ट पत्रकार सीएम पापने के अलावा कई कुमाऊनी कवि और भाषाविद शामिल थे।

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