कुमाऊँ

जोशीमठ आपदा मनुष्य के द्वारा थोपी गई आपदा:इतिहासकार प्रो. गिरधर नेगी

नैनीताल। बद्रीनाथ धाम के मुख्य पड़ाव जोशीमठ में भूस्खलन की भविष्यवाणी 2007 में डीएसबी परिसर नैनीताल के इतिहासकार प्रो. गिरधर नेगी ने अपनी “भारत तिब्बत सीमा से” किताब में कर चुके हैं। आदि गुरु शंकराचार्य की तपस्थली जोशीमठ में हो रहे भूधंसाव से अब तक गांधी नगर में 127, मारवाड़ी में 28, लोअर बाजार नृसिंह मंदिर में 24, सिंहधार में 52, मनोहर बाग में 69,अपर बाजार डाडों में 29, सुनील में 27, परसारी में 50, रविग्राम में 153 कुल 561 भवनों में दरार आ चुकी है। आगे पड़े

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प्रो. गिरधर नेगी ने 2005- 06 में गोपेश्वर से पैदल यात्रा की थी, जिसके बाद 2007 में उन्होंने अपनी किताब में ऐसी आपदाओं की आशंकायें जताईं थीं।आगे पड़े

बीते 4 दशकों से हिमालयी क्षेत्रों पर कर रहे हैं शोध।बीते चार दशकों से हिमालयी क्षेत्रों पर शोध कर रहे इतिहासकार प्रो. गिरधर नेगी ने कहा कि सामाजिक, राजनीतिक,धार्मिक,सांस्कृतिक,भौगोलिक मनोवैज्ञानिक, राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय दबाव पहाड़ों पर बढ़ता जा रहा है, जिसके चलते पहाड़ अंदर से खोखले होते जा रहे हैं और जगह-जगह आपदाएं आ रही हैं। जोशीमठ में भी विभिन्न परियोजनाओं व नेशनल हाईवे के निर्माण के दौरान पहाड़  अंदर से खोखले होकर  दरक  रहे  हैं। भारी संख्या में वाहनों की आवजाही के चलते ये दशा हो गयी है। आगे पड़े

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नहीं संभले तो हालात होंगे और  बुरे…कहा कि जोशीमठ में भूधंसाव एक संकेत है, अगर अभी भी हम लोग हिमालयी क्षेत्रों के प्रति संवेदनशील नहीं हुए तो भविष्य में पहाड़ों पर बड़ी आपदा आ सकती है। बद्रीनाथ धाम का मुख्य पड़ाव जोशीमठ अब आधुनिक युग की भेंट चढ़ा रहा है,भारी संख्या में गाड़ियों का दबाव व अंदर से खोखली होती जा रही धरती अब विकराल रूप धारण करने लगी है।

इतिहासकार प्रोफेसर गिरधर सिंह नेगी

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