नैनीताल। उत्तराखंड की कुमाऊंनी लोक कला और वाद्य यंत्र को सहेजने की जरूरत है। रन टू लिव संस्था के बैनर तले फिल्म अभिनेता हेमंत पांडे तथा अंतरराष्ट्रीय धावक हरीश तिवारी ने पत्रकारों से वार्ता करते हुए कहां की हम अपनी संस्कृति को भूलते जा रहे हैं। धीरे-धीरे हमारी कुमाऊनी वाद्य यंत्र ढोल, ढोलकी, दमाऊं, हुड़की, मसक बीन, रणसिंगा को बनाने वाले लोगो की संख्या भी अब काफी कम हो चुकी है।
अपनी पुरानी संस्कृति को बचाने को लेकर फिल्म अभिनेता हेमंत पांडे और धावक हरीश तिवारी का कहना है इन यंत्रों को बनाने वाले लोगो का संरक्षण बहुत जरूरी है अन्यथा भविष्य में हमारे वाद्य यंत बिल्कुल ही विलुप्त हो जाएंगे। इसलिए उन लोगो को प्रोत्साहित करना जरूरी है।
हेमंत पांडे ने कहा कि वाद्य यंत्रो को अपने सांस्कृतिक कार्यक्रमों में लाना होगा और स्कूलों में भी इन वाद्य यंत्रों के बारे में ज्ञान के साथ-साथ अपने कार्यक्रमों में इनकी प्रस्तुति भी करानी होगी तब जाकर युवा को अपनी संस्कृति को जान पाएंगे और अपने वाद्य यंत्र को बचाने को लेकर सरकार से भी इसको प्रोत्साहित करने को लेकर वार्ता की जाएगी उत्तराखंड के लोगो द्वारा जब इससे संगीत की प्रस्तुति का चलन बढ़ेगा तो सरकार से भी इसको बचाने को लेकर प्रयास किया जाएगा।