ज्योतिषाचार्य डॉक्टर मंजू जोशी के अनुसार श्रावण मास में शिवलिंग पर जल अर्पित करने के पीछे धार्मिक ही नहीं अपितु वैज्ञानिक कारण भी है। हमारी परम्पराओं के पीछे कितना गहन विज्ञान छिपा हुआ है।जिस संस्कृति की कोख से हमने जन्म लिया है, वो तो चिर सनातन है। विज्ञान को परम्पराओं का रूप इसलिए दिया गया है ताकि वो प्रचलन बन जाए और हम भारतवासी सदा वैज्ञानिक जीवन जीते रहें।शिवलिंग और कुछ नहीं बल्कि न्यूक्लियर रिएक्टर्स ही हैं, तभी शिवलिंग पर दूध, जल एवं तरल पदार्थ अर्पित किए जाते हैं जिससे कि रेडियो एक्टिव रिएक्टर्स को समाप्त किया जा सके और वह शांत रहें। महादेव के सभी प्रिय पदार्थ जैसे कि बिल्व पत्र, आक, आकमद, धतूरा, गुड़हल आदि सभी न्यूक्लिअर एनर्जी सोखने वाले पदार्थ है। शिवलिंग पर चढ़ा जल भी रिएक्टिव हो जाता है इसीलिए जल निकासी नलिका को लांघा नहीं जाता। भाभा एटॉमिक रिएक्टर का डिज़ाइन भी शिवलिंग की तरह ही है। शिवलिंग पर चढ़ाया हुआ जल नदी के बहते हुए जल के साथ मिलकर औषधि का रूप ले लेता है। तभी हमारे पूर्वज हम लोगों से कहते थे कि महादेव शिवशंकर अगर नाराज हो जाएंगे तो प्रलय आ जाएगी।श्रावण मास में दूध से शिव को अभिषेक किया जाता है व दूध, दही का सेवन न करने की सलाह दी जाती है। जिससे कि मौसमानुसार शरीर में वात और कफ न बढे जिससे हम निरोगी रहे ऐसा आयुर्वेद विज्ञान में कहा गया है ज्योतिषाचार्य डॉक्टर मंजू जोशी
श्रावण मास:रुद्राभिषेक का वैज्ञानिक महत्व: ज्योतिषाचार्य डॉ.मंजू जोशी
By
Posted on