नैनीताल। राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित जीव विज्ञान की उत्कृष्ट शिक्षिका जीजीआईसी नैनीताल की पूर्व प्रधानाचार्या सावित्री दुग्ताल सीमांत क्षेत्र दारमा पिथौरागढ़ जनपद के धारचूला दुग्तु के सामान्य परिवार की होने के वावजूद आत्म निर्भर बनने के साथ एक शिक्षका के रूप में उन्होंने अपनी अलग पहचान बनाई है। साथ ही छात्रों के भविष्य व स्कूल के लिए उत्कृष्ट कार्य करने को लेकर उन्हें राष्ट्रपति पुरस्कार सम्मान से नवाजा गया है।अपने कार्यकाल में उनके द्वारा स्कूल व छात्राओं के उज्ज्वल भविष्य के लिए कई कार्य किये गए।साथ ही उन्ही के अथक प्रयासों से जीजीआईसी नैनीताल अटल उत्कृष्ट विद्यालय में शामिल हुआ।आगे पढ़ें सावित्री की किताब के बारे में……
सावत्री दुग्ताल द्वारा लिखी गयी किताब छात्रों व शिक्षकों के लिए काफी प्रेरणादायक है। बीते वर्ष 31 जुलाई को सेवानिवृत्त होने के बाद भी दुग्ताल हमेशा ही शिक्षा के क्षेत्र में अपने स्तर से कार्य कर रही है। उनके द्वारा लिखी गई किताब “सफलता की कहानी” छात्रों व शिक्षकों के लिए प्रेरणादायक है।उन्होंने कहा है कि पुस्तक लिखने का मुख्य मकसद साथी शिक्षक-शिक्षिकाएं छात्र-छात्राओं व पाठकों से यह साझा करना है कि यदि हम कार्य क्षेत्र के कार्य को ईश्वर की सच्ची पूजा मानकर करें तो आगे बढ़ने के लिए रास्ता स्वयं ही खुल जाता है,हमें मार्गदर्शन के लिए और हमारे कार्यों का प्रचार-प्रसार करने के लिए ईश्वर स्वयं किसी न किसी को नियुक्त कर देते हैं,ऐसा मेरा अपना व्यक्तिगत अनुभव है।कहा कि हमारे कार्य के द्वारा ही हमारा मूल्यांकन होता है,कार्य ही हमारा परिचय कराता है।इसलिए उनके द्वारा “सफलता की कहानी” किताब की रचना की है ताकि शिक्षकों छात्रों व पाठकों को कर्म की सच्ची प्रेरणा मिल सके।