22 मार्च बुधवार हिंदू नूतन वर्ष एवं नवरात्रि का प्रारंभ हो गया है। चैत्र शुक्ल पक्ष प्रतिपदा को हिंदू नव वर्ष मनाया जाता है। इस वर्ष देवी भगवती नौका पर सवार होकर पृथ्वीलोक में विचरण करेंगी। ब्रह्म पुराण के अनुसार ब्रह्मा जी द्वारा इसी दिन से सृष्टि का निर्माण प्रारंभ किया गया था। अतः इसी को आधार मानकर कालगणना का सिद्धांत प्रारंभ हुआ। हिंदू रीति रिवाज एवं पर्वों का कोई न कोई वैज्ञानिक प्रयोजन अवश्य होता है चैत्र माह में नव वर्ष मनाने का ध्येय यह रहता है कि इस समय प्रकृति का नव निर्माण प्रारंभ होता है। पतझड़ समाप्त होकर बसंत ऋतु के आगमन से प्रकृति हरी भरी हो जाती है। चारों ओर सुंदर पुष्प एवं हरियाली देखने को मिलती है। इसके अतिरिक्त नव वर्ष से प्रकृति एवं धरती का एक चक्र पूरा होता है धरती सूर्य का एक चक्कर पूर्ण करती है।आगे पढ़े…..
हिंदू नव संवत्सर के साथ ही नवरात्रि प्रारंभ होती हैं।इस वर्ष संवत्सर का नाम *पिङ्गल* होगा जिसमें *बुध देव* राजा एवं शुक्र देव* मंत्री होंगे।पिङ्गल संवत्सर होने से विश्व में विकास के कार्यों में व्यवधान की स्थिति देखने को मिल सकती है। अन्नोत्पादन मध्यम एवम खंडवृष्टि रहेगी। इति –भीति ( बाधा, विघ्न, विपत्ति, उपद्रव, दंगा, विदेशी शत्रुओं का भय, प्रवास गमन, फ़सल को हानि पहुँचाने वाले उपद्रव-अतिवृष्टि, अनावृष्टि, अग्निकांड औरभूकंप, चूहों, पक्षियों, टिड्डियों तथा विदेशी आक्रमण से हानि) से राष्ट्र में तनाव की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। इसके अतिरिक्त वैश्विक स्तर पर मंदी देखने को मिलेगी एवं महंगाई नियंत्रित होने की संभावना कम रहेगी। देश के राजा एवं मंत्री के मध्य मतभेद देखने को मिलेगा।राजा बुध बुधदेव राजा होने से व्यापारी वर्ग के लिए संवत्सर 2080 विशेष लाभकारी रहेगा। व्यापार में नए आयाम स्थापित होंगे। आय में बढ़ोतरी होगी। नए कार्यों के लिए वर्ष शुभ फल कारक रहेगा। शिल्पकार, लेखन एवं चिकित्सा के क्षेत्र से जुड़े हुए जातकों को विशेष लाभ प्राप्त होगा। परंतु बुध के प्रभाव से जनमानस में कभी क्रोध एवं कभी उत्साह दोनों ही देखने को मिलेगा। आम जनमानस के साथ प्रकृति भी प्रभावित रहेगी–जैसे कभी अचानक वर्षा तो कभी वर्षा का अभाव भी देखने को मिलेगा।जीव-जंतुओं से संबंधित नुकसान भी रहेगा आगे पढ़े…….
मंत्री शुक्र संवत्सर 2080 में मंत्री पद पर शुक्र देव आसीन होने के कारण महिलाओं का वर्चस्व बढ़ेगा। कला एवं मनोरंजन के क्षेत्र से जुड़े हुए सभी जातकों के लिए वर्ष अत्यंत लाभकारी रहेगा। राजा बुध एवं मंत्री शुक्र में मैत्री होने के कारण व्यापार के नए आयाम स्थापित होंगे। भौतिक सुख सुविधाओं के प्रति लोगों का रुझान अधिक देखने को मिलेगा। परंतु स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों से लोगों को जूझना पड़ सकता है विशेष रूप से बाल्यावस्था के जातकों को स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां अधिक रहेंगी। अन्य ग्रहों का पदभार 1–सूर्य देव को पूर्वधान्य नीरस (अर्थात ठोस पदार्थ) एवं वित्त का पदभार। 2–धान्य,सस्येश (फसलों) के स्वामी शनि महाराज रहेंगे।3– देव गुरु बृहस्पति को फल एवं रक्षा मंत्री का कार्यभार। 4–मंगल देव को रसेश का पद। रोहिणी निवास तट पर होने से सामान्य वर्षा के योग हैं। आगे पढ़े…..
वर्ष में छः ग्रहण वर्ष में छः ग्रहण पड़ेंगे जिसमें तीन सूर्य ग्रहण एवं तीन चंद्रग्रहण होंगे। वर्ष का प्रथम सूर्य ग्रहण दिनांक 20 अप्रैल 2023 खंडग्रास सूर्यग्रहण होगा।5 मई 2023 उपच्छाया चंद्रग्रहण रहेगा।14 अक्टूबर 2023 को कंकणाकृति सूर्यग्रहण पड़ेगा*।28 अक्टूबर 2023 खंडग्रास चंद्रग्रहण रहेगा। दिनांक 25 मार्च 2024 चंद्र ग्रहण। दिनांक 8 अप्रैल 2024 वर्ष का अंतिम पूर्णग्रास सूर्य ग्रहण पड़ेगा। नवरात्र विशेष अगले अंक में पढ़ें।