भीमताल। नैनीताल जनपद ओखलकांडा ब्लॉक के ग्रामसभा कौडार में स्थित पशुपतिनाथ का प्राचीन मंदिर है जो क्षेत्र के लोगों की आस्था से जुड़ा हुआ है, यहां पहुंचने के लिए लोगों को 52 सीढ़ियां पार करनी पड़ती है मंदिर की शिला का एक चक्कर लगभग 500 मीटर से ज्यादा चौड़ाई का है।
मान्यताओं के अनुसार भगवान पशुपतिनाथ जब नेपाल से बारात लेकर आ रहे थे तो कौडार के इसी स्थान पर रात हो जाने से विश्राम करने के लिए रुके थे। यहां पर कई पत्थरों में आकृतियां बनी हुई है जिन्हें शिव विवाह में आए बराती बताया जाता हैं।
पशुपतिनाथ के इस मंदिर का वर्णन सकंद पुराण में भी बताया जाता है, महाशिवरात्रि के दिन यहां दूर-दूर से श्रद्धालु शिव का जलाभिषेक करने आते हैं।
वही नवयुवक मंगल दल अध्यक्ष व सामाजिक कार्यकर्ता मदन परगाई ने कहा कि ओखलकांडा ब्लॉक में उत्तराखंड का एकमात्र पशुपतिनाथ का मंदिर है, इस प्रकार यहां एशिया का एकमात्र देव गुरु बृहस्पति का प्राचीन मंदिर भी है। प्रचार प्रसार नहीं होने के चलते इन मंदिरों के महत्व की जानकारी लोगों को नहीं है।
उन्होंने सरकार से उनका प्रचार प्रसार कर इन्हें धार्मिक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की मांग की है, इससे स्थानीय बेरोजगारों को रोजगार और पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा।
शिव-पार्वती की बारात ने ओखलकांडा के कौडार में किया था रात्रि विश्राम
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