आगे पड़े बैणी ग्रुप के बारे क्या कहा अजंलि ज्योति व भावना ने
नैनीताल। सेंट मेरी कॉलेज की पूर्व छात्रा व नैनीताल निवासी रिद्धि जिला मुख्यालय से 18 किमी दूर पंगुट गांव में लड़कियों को आत्मनिर्भर बनाने का कार्य कर रही है। छोटी सी उम्र में ही ग्रामीण क्षेत्र में रहकर यहां की लड़कियों को निशुल्क प्रशिक्षण देकर क्रोशिया से तैयार विभिन्न प्रकार के सामानों की ऑनलाइन मार्केटिंग कर रही हैं। अपनी पहचान बनाने के लिए उन्होंने अपने ग्रुप को बैंणी (बहन) नाम दिया है। आगे पड़े…..
नैनीताल निवासी रिद्धि ने साल 2014 में नगर के सेंट मेरी कॉलेज से 12वीं की और फिर राजस्थान से बीए किया और दिल्ली से एमए करने के बाद उन्होंने तमिलनाडु में ओरेवल संस्था के साथ जुड़कर दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्र के लोगों के लिए कार्य किया। जिसके बाद वापस नैनीताल लौट आईं और कुछ समय तक चिराग संस्था के साथ काम किया। इसके बाद उन्होंने “बैंणी” गुप के जरिये स्थानीय युवतियों को आत्मनिर्भर बनाने की मुहिम शुरू की। आगे पड़े…..
रिद्धि के साथ 12 से अधिक युवतियां जुड़ चुकी हैं। जो क्रोशिए से आकर्षक बैग, दस्ताने, खिलौने, मफलर, टोपी, मोजे आदि सामान तैयार कर रही हैं। रिद्धि ने बताया कि बचपन से ही वह चाहती थीं कि ग्रामीण क्षेत्र की महिलायें आत्म निर्भर बनें और आज उनका यह सपना पूरा भी हो रहा है। उनकी ये बैंणी अपने आस-पास व अन्य दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं को भी प्रशिक्षित कर आत्मनिर्भर बनाएंगी। रिद्धि ने बताया कि वह तैयार सामान को इंस्टाग्राम के जरिए ऑनलाइन बेच रही हैं। देश के अलग-अलग राज्यों से उन्हें ऑर्डर मिल रहे हैं। आगे पड़े…..
अगर आपको बैणी ग्रुप से उत्पाद खरीदने है तो इस लिंक पर संपर्क कर सकते है।https://instagram.com/bainiuttarakhand?igshid=YmMyMTA2M2Y=
ज्योति आर्य: 2021 में मैंने डीएसबी से बीए किया। अभी चार माह पूर्व बैणी ग्रुप से जुड़े। रिद्धि मैम ने निशुल्क प्रशिक्षण दिया। जिसके बाद अब आय होने से आत्मनिर्भर बनने की राह पर चल रही हूं। बैंणी ग्रामीण क्षेत्र की प्रतिभावान लड़कियों को आगे बढ़ाने का काम कर रही है।
भावना आर्य: 12वीं पास करने के बाद मैं पंगुट में ही बच्चों को कंप्यूटर की बेसिक जानकारियां सिखाती थी। अभी दो माह पूर्व बैणी से जुड़ी और निशुल्क प्रशिक्षण के जरिए आज में टोपी बैग,बुक कवर आदि सामान तैयार कर आय अर्जित कर रही हूं। इससे मेरा आत्मविश्वास भी बढ़ा है।
अजंलि आर्य: मैं डीएसबी परिसर नैनीताल में बीए की छात्रा हूं। बीते तीन माह पूर्व ही बैणी से जुड़ी। प्रशिक्षण के दौरान मैंने बैग,मोजे व स्कर्ट बनाना सीखा। अब क्रोशिया के जरिए मेरी आमदनी हो रही है। पढ़ाई के साथ ही मेरी आमदनी भी हो रही है, जिससे जिंदगी में सकारात्मक बदलाव आए हैं।