रुद्राक्ष की उत्पत्ति कैसे हुई और इसको पहनने से क्या लाभ होते हैं और किस राशि के जातकों को कौन सा रुद्राक्ष धारण करना चाहिए पुराणों में बताया गया है कि माता सती के वियोग में भगवान शिव का हृदय द्रवित हुआ तो उनके नेत्रों से अश्रु प्रवाहित होने लगे अश्रु की धारा जिन जिन स्थानों पर गिरी उन सभी स्थानों पर स्थानों पर रुद्राक्ष के वृक्षों की उत्पत्ति हुई। न केवल पूजा-पाठ और मंत्र जप के लिए बल्कि ग्रहों की अनुकूलता के लिए भी रुद्राक्ष का उपयोग किया जाता है। यदि हम अपनी राशि और ग्रह के अनुरूप रुद्राक्ष धारण करें तो अशुभ ग्रहों का प्रभाव काफी हद तक कम हो सकता है। महालक्ष्मी की कृपा होती है। जीवन में सभी सुख सुविधाएं प्राप्त हो जाती हैं। रुद्राक्ष धारण करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है एवं डर,भय रोग, ऋण से मुक्ति मिलती है। रुद्राक्ष धारण करने से कठिन साधना करने के बाद मिलने वाले फल के बराबर लाभ होता है। आइए, जानते हैं कि किस राशि के व्यक्ति को कौन-सा रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।आगे पढ़ें
राशि और रुद्राक्ष:1-मेष राशि के जातकों को तीन मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए। 2-वृषभ राशि के जातकों को छह मुखी रुद्राक्ष पहनने की सलाह दी जाती है।3-मिथुन राशि के जातकों को चार मुखी रूद्राक्ष धारण करना चाहिए।4-कर्क राशि लिए दो मुखी रुद्राक्ष पहनना शुभ माना गया है।5-सिंह राशि के जातकों को रुद्राक्ष में सबसे अनमोल बारह मुखी रुद्राक्ष पहनना चाहिए।6-कन्या राशि के जातकों को चार मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।7-तुला राशि के जातकों को छह मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।8- वृश्चिक राशि के स्वामी भी मंगल है इन्हें भी तीन मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।9-धनु राशि के जातकों को पंचमुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।10-मकर राशि के जातकों को सात मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।11-कुंभ राशि के स्वामी भी शनि होने के कारण इन्हें भी सात मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।12-मीन राशि के जातकों के लिए पंचमुखी रुद्राक्ष धारण करना अति शुभ माना गया है।आगे पढ़ें
रुद्राक्ष को कब कहां और किस समय धारण करना चाहिए और कहां और किन स्थानों पर श्रद्धा रुद्राक्ष धारण नहीं करना चाहिए।रुद्राक्ष को हमेशा शुभ मुहूर्त में ही धारण करना चाहिए। हिन्दू शास्त्रों के अनुसार पूर्णिमा और मकर संक्रांति, ग्रहण, संक्रांति, अमावस्या, शिवरात्रि, सावन, सोमवार, चतुर्दशी के दिन रुद्राक्ष धारण करना शुभ माना गया है।आगे पढ़ें।
किन स्थानों पर रुद्राक्ष धारण नहीं करना चाहिए।ऐसा माना गया है कि किसी शवयात्रा या श्मशान जाते समय रुद्राक्ष धारण नहीं करना चाहिए।जहां बच्चे का जन्म हुआ हो उस कक्ष में रुद्राक्ष धारण करके नहीं जाना चाहिए जब तक बच्चे का जातकर्म ना हो जाए। इसका कारण यह माना जाता है कि भगवान शिव जीवन-मृत्यु से परे हैं, इसलिए उनके अंशस्वरूप रुद्राक्ष को जीवन और मृत्युवाले स्थानों पर नहीं धारण करना चाहिए। दूसरी कारण यह है कि इससे रुद्राक्ष निस्तेज हो जाता है।रुद्राक्ष को सोने से पहले उतार देना चाहिए कारण यह है कि इस समय शरीर निस्तेज और अशुद्ध रहता है। वैसे व्यवहारिक रूप से रुद्राक्ष टूटने का भय भी रहता है जिससे सोते समय इसे उतारने का विधान है।माना जाता है तकिए के नीचे रुद्राक्ष रखकर सोने से आत्मिक शांति मिलती है और बुरे स्वप्न भी नहीं आते हैं।आगे पढ़ें।
नियम: रुद्राक्ष धारण करने वाले जातक को तामसिक भोजन और मदिरापान का त्याग करना चाहिए।बहुत सारे जातकों का यह भी प्रश्न रहता है कि महिलाओं को रुद्राक्ष पहनना चाहिए या नहीं तो इसका जवाब यह है महिलाओं को रुद्राक्ष धारण करने की परंपरा नहीं है केवल साध्वियां ही रुद्राक्ष धारण करती देखी गई हैं। किन्तु वर्तमान समय में महिलाओं में भी रुद्राक्ष धारण करने की प्रवृत्ति बढ़ी है। मेरे मतानुसार यदि महिलाएं रुद्राक्ष धारण करें तो अशुद्धावस्था आने से पूर्व इसे उतार दें एवं शुद्धावस्था प्राप्त होने पर पुन: धारण करें। ज्योतिषाचार्य डॉ मंजू जोशी 8395806256