कुमाऊँ

हरेला पर्व के साथ पुरूषोत्तम मास”अधिक मास”का हुआ आरंभ:जाने क्या है पुरुषोत्तम मास: ज्योतिषाचार्य डॉ.मंजू जोशी

जी रया जागि रया,यो दिनबार भेटने रया।दुबक जस जड़ हैजो, पात जस पौल हैजो।स्यालक जस बुद्धि हैजो.. हर्याव त्यार मनाते रया। आगे पढ़ें……….

नैनीताल। कुमाऊं व गढ़वाल क्षेत्र में श्रावण मास एक गते को मनाए जाने वाला हरेला पर्व सामाजिक रूप से अपना विशेष महत्व रखता है तथा समूचे कुमाऊं में अति महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक माना जाता है।श्रावण माह भगवान भोले शंकर का प्रिय माह है इसलिए हरेला पर्व को कई स्थानों में हरी–काली के नाम से भी जाना जाता है। प्रकृति और पर्यावरण के संरक्षण एवं संवर्द्धन को समर्पित कुमाऊं मंडल का लोकप्रिय त्यौहार हरेला सोमवार संक्रांति को धूमधाम से मनाया गया।आगे पढ़ें क्या है पुरुषोत्तम मास…..

पुरूषोत्तम मास का हुआ आरंभ:ज्योतिषाचार्य डॉ मंजू जोशी ने बताया कि सोमवार से पुरुषोत्तम अधिक मास प्रारंभ हो गया है। एक वर्ष में सूर्य माह के अनुसार 365.25 दिन होते हैं,और चंद्रमाह के अनुसार 354 दिन होते हैं।अतः प्रत्येक वर्ष चंद्रमाह और सूर्य माह के मध्यांतर को प्रत्येक तीन वर्ष में अधिक मास के रूप में समायोजित किया जाता है। इसलिए हिंदू पंचांग के अनुसार तीसरे वर्ष 12 की अपेक्षा 13 माह का वर्ष रहता है। जिसे पुरूषोत्तम मास के रूप में जाना जाता है।पुरुषोत्तम भगवान हरि विष्णु का ही दूसरा नाम है,पुरुषोत्तम माह के स्वामी स्वयं भगवान विष्णु है, अतः पुरुषोत्तम माह में सभी प्रकार की पूजा, अर्चना,जप, उपवास, हवन, भागवत कथा, शिव पूजा सभी प्रकार के धार्मिक कार्य अत्यधिक शुभ फल प्रदान करते हैं। 

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