उत्तराखण्ड

महिला दिवस विशेष:शैलेश मटियानी पुरस्कार से सम्मानित प्रधानाचार्या नीलम ने जीजीआईसी रानीखेत का किया कायाकल्प

अल्मोडा/रानीखेत।जीजीआईसी रानीखेत से सेवानिवृत्त प्रधानाचार्या नीलम नेगी ने अपने कार्यकाल में स्कूल में शिक्षा की अलख जगाते हुए अपने कार्य का पूरी ईमानदारी से निर्वाहन किया।उनकी कर्तव्य निष्ठा के चलते क्षेत्र के लोग सेवानिवृत्त के बाद भी उनको याद करते है।शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने के लिए शैलेश मटियानी पुरस्कार,दीनदयाल राज्य शैक्षिक उत्कृष्ट पुरस्कार (ग्रीन कार्ड) तथा 2019 व 2023 अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर भी सम्मानित हो चुकी है।साहित्य के क्षेत्र में तीन अंतरराष्ट्रीय व 50 राष्ट्रीय व राजकीय पुरस्कारों सहित दर्जनों जनपद व ब्लॉक स्तरीय पुरस्कारों से सम्मानित हो चुकी नीलम नेगी अभिव्यक्ति,संवेदना,अनुभूति,अंतरध्वनि मनभवर पांच किताबे भी लिख चुकी है।उन्होंने अपने कार्यकाल में छात्राओं के सर्वांगीण विकास के लिए कई कार्यक्रम चलाए साथ ही कुमाऊंनी भाषा में प्रार्थना की शुरुवात भी उनके स्कूल से ही हुई थी।संसाधनों के आभाव में कोई शिक्षा से वंचित ना रह जाए इसके लिए 2013 से 2020 तक दर्जनों असहाय छात्रों की पढ़ाई का खर्चा भी उन्होंने खुद वहन किया।इससे पूर्व भी वे डाइट में वरिष्ठ प्रवक्ता जीजीआईसी अल्मोड़ा श्रीनगर गढ़वाल में अपनी सेवाएं दे चुकी है।आगे पढ़ें क्या कहा नीलम नेगी ने……..

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शिक्षा के स्तर को लेकर नीलम नेगी का कहना है कि अभी भी शिक्षा में सुधार लाने की काफी आवश्यकता है। प्रदेश में आज भी अधिकांश स्कूलों में शिक्षकों व प्रधानाचार्य की कमी व शिक्षा में गुणवत्ता नही होने के चलते सरकारी स्कूलों में शिक्षा का स्तर बेहतर नही हो पा रहा है।जिसके चलते स्वभाविक है कि परिजन अपने बच्चो को निजी स्कूलों में शिक्षा ग्रहण कराने पर जोर दे रहे है।वही महिलाओ को लेकर उनका कहना है कि भले ही महिलाओ को आत्मनिर्भर बनाने की दर्जनों योजनाएं लागू की गई है लेकिन धरातल पर महिलाओ को उनका लाभ नही मिल पा रहा है।तथा महिला सुरछा पर भी अभी काफी काम करना होगा।क्योंकि आज भी कई क्षेत्रो में महिलाएं अपने आप को सुरक्षित महसूस नही कर पा रही है।

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