नैनीताल। उत्तराखंड राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण व जिला जज जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के निर्देशो पर मंगलवार को पराविधिक स्वयंसेवक यशवंत कुमार द्वारा बोट हाउस स्टैंड में जागरुकता शिविर का आतयोजन किया गया।इस दौरान यशवंत कुमार ने बताया गया की जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा गिरफ्तारी से पूर्व कानूनी सहायता किस प्रकार द्वारा दी जा सकती है – जिसके द्वारा गिरफ्तारी एवं पूछताछ के क्रम में कानूनी सहायता के अधिकार को वैधानिक मान्यता दी गयी। यह जानने का अधिकार कि पुलिस ने उसे पूछताछ के लिए क्यों बुलाया है। गिरफ्तारी से पूर्व व्यक्ति के अधिकार – यह जानने का अधिकार कि पुलिस इस बारे में क्या सोचती है कि उसने क्या किया है।उन सवालों के जवाब न देने का अधिकार जिनमें आत्म-दोष का प्रभाव हो । परन्तु उसे अपना नाम, पता एवं पहचान का सही विवरण देना होगा।एक वकील की उपलब्धता का अधिकार, यदि पुलिस उस व्यक्ति से पूछताछ करती है तो वह निकटतम विधिक सेवा प्राधिकरण से मुफ्त कानूनी सहायता प्राप्त कर सकता है।चिकित्सीय सहायता का अधिकार अगर वह बीमार या घायल हो।पुलिस की भूमिका – पुलिस संदिग्ध को यह सूचित करे कि पूछताछ के दौरान जिला विधिक सेवा प्राधिकरण से मुफ्त कानूनी सहायता प्राप्त की जा सकती है। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण सूचना प्राप्त होने पर डयूटी रोस्टर के अनुसार पैनल अधिवक्ता को नियुक्त करेगा। प्राधिकरण पुलिस सीधे सम्बन्धित अधिवक्ता को सूचित करेगी।सूचना प्राप्त होने पर, अधिवक्ता विधिक सहायता उपलब्ध कराने के लिए सम्बन्धित पुलिस स्टेशन जाएगा। अधिवक्ता आवश्यकता के अनुरूप कानूनी सलाह और सहायता प्रदान करेगा। अधिवक्ता पूछताछ में कोई बाधा उत्पन्न नहीं करेगा। अधिवक्ता सुनिश्चित करेगा कि महिलाओं को पूछताछ के लिए उनके निवास स्थान के अलावा किसी अन्य स्थान पर या किसी थाने में न बुलाया जाए। यदि किसी बच्चे को पुलिस स्टेशन बुलाया गया है, तो अधिवक्ता उसके अधिकारों की सुरक्षा के लिए ऐसे आवश्यक कदम उठाएगा जैसा कि किशोर न्याय देखभाल और संरक्षण अधिनियम, 2015 के तहत प्रदान किया गया है।शिविर मे अंबिका,राज, हरीश कांडपाल आदि मौजूद रहे।
साक्षरता एवं जागरूकता शिविर का आयोजन
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