भीमताल। उत्तर प्रदेश सरकार के दौरान भीमताल व उसके आसपास के क्षेत्रों के पलायन को रोकने तथा लोगों को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए भारत सरकार के द्वारा भीमताल औद्योगिक घाटी सिडकुल की नींव रखी गयी थी। जिसके चलते भीमताल औद्योगिक घाटी में धीरे-धीरे चहल-पहल बढ़ने लगी और साथ ही एक से एक नामी-जानी कंपनिया भीमताल सिडकुल में स्थापित हुई जिससे कई हजारों परिवारों को रोजगार मिला। लेकिन धीरे-धीरे वर्ष 2000 तक एक के बाद एक कंपनिया अपना मुनाफा कमाकर बंद होती गई और यहां से जाती रही।उत्तराखंड राज्य बनने के बाद सिडकुल वीरान घाटी में तब्दील हो गया अब हाल ये है कि सिडकुल की कई एकड़ भूमि घनी झाड़ियों से पूरी तरह ढक चुकी है।
जिस उदेश्य से भारत सरकार ने भीमताल सिडकुल का चयन किया उसका लाभ यहां के लोगों को नहीं मिल सका। बीते 20 सालों में भीमताल विधानसभा व उसके आस-पास के क्षेत्रों के युवाओं को भीमताल सिडकुल छोड़कर अन्य राज्यों में व तराई के सिडकुल में रोजगार के लिए धक्के खाने पर मजबूर होना पड़ रहा है।
समाजसेवी पूरन बृजवासी ने कहा कि आज तक सरकार जिस पलायन को रोकने के लिए बड़ी-बड़ी बाते करती है, यहाँ अरबों रुपये के निवेश से स्थापित भीमताल औद्योगिक घाटी इसके लिए कुछ हद तक कारगर साबित हो सकता है बस आवश्यकता है उद्योगपतियों से यहाँ निवेश कराए, औद्योगिक घाटी में सिडकुल विभाग ‘कुशल व अर्ध्दकुशल’ दोनों के लिए रोजगार के द्वार खोले, साथ ही बृजवासी ने बताया कि आज कई स्थानीय डिग्री धारी युवा अपना खुद का रोजगार खोलने के लिए भीमताल सिडकुल घाटी में प्लाटों की माँग कर रहे हैं ताकि खुद व स्थानीय लोगों को रोजगार से जोड़ सके उनके लिए शासन-प्रशासन को शीघ्र जमीन देनी चाहिए ताकि फिर से भीमताल औद्योगिक घाटी के अच्छे दिन आ सके और भीमताल के आस-पास के कई हजारों परिवारों को अपने ही घर समीप रोजगार भी मिल सके।