उत्तराखण्ड

राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस भारत की अंतरिक्ष यात्रा और भविष्य

उत्सव की सुबह:एक नया दिन एक नई दिशा

हिमानी बोहरा नैनीताल। 23 अगस्त 2024 की सुबह भारत का आकाश सितारों से भरा था। देशभर में लोग National Space Day के आयोजन के लिए उत्साहित थे। यह दिन भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) की अद्वितीय यात्रा का उत्सव था, एक यात्रा जो सवेरा और शाम के बीच का गहरा अंतर दर्शाती है।आगे पढ़ें…

सपनों की शुरुआत: जब सितारों ने भारत की ओर देखासितारे जब चाँद से झाँकते हैं,तो भारत का सपना चमकने लगता है।1962 में, भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम ने अपने पहले कदम रखे। डॉ. विक्रम साराभाई के नेतृत्व में स्थापित ISRO ने एक नई दिशा दी। 1975 में, “आर्यभट्ट” का लॉन्च एक ऐतिहासिक क्षण था। सोवियत Union की मदद से भारत ने अंतरिक्ष में पहला कदम रखा, जो एक नई यात्रा की शुरुआत थी।आगे पढ़ें

विज्ञान की ऊँचाइयाँ: SLV से PSLV तक ऊँचाई पर चढ़ने की जिद्द हो तो,हर चाँद-सितारे को छूना आसान हो जाता है।1980 में SLV (सैटेलाइट लॉंच व्हीकल) के साथ भारत ने उपग्रहों को निचली कक्षा में स्थापित करने की क्षमता प्राप्त की। “रोहिणी उपग्रह” का सफल लॉन्च इस सफलता का प्रतीक था। इसके बाद 1993 में PSLV (पोलर सैटेलाइट लॉंच व्हीकल) ने नई ऊँचाइयाँ छूने की दिशा दी। PSLV के माध्यम से, भारत ने 2008 में चंद्रयान-1 मिशन लॉन्च किया और 2017 में एक ही रॉकेट में 104 उपग्रहों का विश्व रिकॉर्ड बनाया।आगे पढ़ें…

चाँद की ओर: चंद्रयान की यात्रा चाँद की धरती पर कदम जब रखा भारत का सपना साकार हुआ। 2008 में चंद्रयान-1 ने चंद्रमा की सतह पर पानी की उपस्थिति की पुष्टि की, जो भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान की महत्वपूर्ण उपलब्धि थी। इसके बाद, 2019 में चंद्रयान-2 मिशन ने चंद्रमा पर लैंडर और रोवर के साथ शोध किया। भले ही लैंडर की लैंडिंग में विफलता रही, लेकिन ऑर्बिटर ने महत्वपूर्ण डेटा प्रदान किया, जो भविष्य के मिशनों के लिए महत्वपूर्ण था।आगे पढ़ें….

चंद्रयान-3: चाँद पर भारत की नई उपलब्धि चाँद की कक्षा में जब छाया बसी चंद्रयान-3 ने सफलता की कहानी लिखी।2023 में लॉन्च किया गया चंद्रयान-3, भारत का तीसरा चंद्र मिशन था। इसने चाँद की सतह पर सफलतापूर्वक लैंडर और रोवर को स्थापित किया, और चाँद की सतह पर पहली बार ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ की उपलब्धि दर्ज की। चंद्रयान-3 ने भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान की क्षमताओं को और भी ऊँचाइयों तक पहुँचाया।आगे पढ़ें….

यह भी पढ़ें 👉  मंगलवार से पितृपक्ष प्रारंभ दो अक्टूबर कृष्ण पक्ष की अमावस्या को विसर्जन:ज्योतिषाचार्य डॉ.मंजू जोशी

मंगल की ओर: मंगलयान का इतिहास मंगल की ओर बढ़ते कदमों की गूंज भारत की उपलब्धियों की पहचान बन गई। 2013 में लॉन्च किया गया मंगलयान (Mars Orbiter Mission) भारत का पहला मंगल मिशन था। 24 सितंबर 2014 को मंगल की कक्षा में सफलतापूर्वक प्रवेश करने के बाद, भारत ने मंगल ग्रह पर पहुँचने वाला पहला एशियाई देश बनने का गौरव प्राप्त किया। यह मिशन मंगल के वातावरण, भूगोल और अन्य विशेषताओं का अध्ययन करता है।आगे पढ़ें…

सूरज की ओर: आदित्य-L1 का नया युग सूरज की किरणों में चमक देखो अंतरिक्ष के अन्वेषण की दिशा को मोड़ते देखो।2023 में लॉन्च किया गया आदित्य-L1 मिशन सूरज के बाहरी वातावरण और कोराना का अध्ययन करने के लिए भारत का पहला मिशन था। इस मिशन ने सूरज की गहराईयों को समझने की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान दिया।आगे पढ़ें…..

मानव अंतरिक्ष मिशन: Gaganyaan की तैयारी अंतरिक्ष में भारतीय यात्रा की तैयारी स्वप्न को साकार करने की है योजना हमारी।2024-2025 के लिए योजनाबद्ध, Gaganyaan मिशन भारत का पहला मानव अंतरिक्ष मिशन होगा। इसके तहत भारतीय नागरिकों को अंतरिक्ष में भेजने की योजना है, जो भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम की एक नई दिशा को दर्शाता है।आगे पढ़ें…

उपलब्धियों की ओर: ISRO का भविष्य आकाश में सितारों की तरह चमकते हैं ISRO की उपलब्धियाँ हर दिल में बसती हैं। SRO ने अपनी तकनीकी और वैज्ञानिक क्षमताओं को वैश्विक स्तर पर स्थापित किया है। Gaganyaan और आदित्य-L1 जैसे भविष्य के मिशनों के माध्यम से, ISRO ने अंतरिक्ष अन्वेषण की दिशा में नई ऊँचाइयाँ छूने की दिशा में कदम बढ़ाए हैं।आगे पढ़ें….

एक नई यात्रा की शुरुआत।राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस 2024 के अवसर पर, हम ISRO की यात्रा की इस महाकवि कहानी को मान्यता देते हैं। यह दिन हमें गर्व का अहसास कराता है और प्रेरित करता है कि हम विज्ञान और अनुसंधान की दिशा में निरंतर प्रगति की ओर कदम बढ़ाएं। भारत की अंतरिक्ष यात्रा की यह कहानी सितारों की चमक से भरी है, और इसका भविष्य अनंत संभावनाओं से भरा हुआ है।

To Top

You cannot copy content of this page