नैनीताल। कुमाऊं विवि के डीएसबी परिसर स्थित वाणिज्य विभाग की ओर से शुक्रवार को विवि के हरमिटेज भवन स्थित बुरांश सभागार में माइक्रो फाइनेंस के माध्यम से ग्रामीण महिलाओं का सशक्तिकरण विषय पर राष्ट्रीय सेमिनार आयोजित किया गया। मुख्य अतिथि उत्तराखंड राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष कुसुम कंडवाल ने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। कार्यक्रम संयोजक वाणिज्य विभाग के संकायाध्यक्ष एवं विभागाध्यक्ष प्रो. अतुल जोशी ने कार्यक्रम की रूपरेखा रखी। कार्यक्रम की शुरूआत सरस्वती वंदना से की गई। इसके बाद इंटीग्रेटेड बीएड विभाग की छात्राओं ने कुलगीत, स्वागत गीत एवं उत्तराखंड की लोक संस्कृति पर आधारित कार्यक्रम पेश किए। मुख्य अतिथि राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष कुसुम कंडवाल ने कहा कि बचत और ऋण सुविधाओं तक पहुंच से निर्णय लेने में महिलाओं की भागीदारी बढ़ती है। यह महिलाओं को स्वयं के साथ ही अपने बच्चों की भलाई पर खर्च बढ़ाने में सक्षम करता है। साथ ही अनुत्पादक और हानिकारक गतिविधियों में घरेलू आय के रिसाव को रोकता है। विशिष्ट अतिथि निदेशक उच्च शिक्षा उत्तराखंड अंजू अग्रवाल ने कहा कि भारत का ह्रदय इसके ग्रामीण क्षेत्रों में बसता है, और यह भारत का आर्थिक इंजन भी है। वित्तीय समावेशन, महिला सशक्तीकरण और डिजिटल समावेशन लाकर माइक्रोफाइनेंस भारत को एक महाशक्ति के रूप में उभरने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। मुख्य वक्ता पूर्व निदेशक उच्च शिक्षा उत्तराखंड प्रो. सीडी सूंठा ने कहा कि माइक्रोफाइनेंस का मुख्य उद्देश्य कम आय वाले ग्राहकों को वित्तीय सेवाएं उपलब्ध कराकर महिलाओं को सशक्त बनाना है। उन्होंने कहा कि गरीब ग्रामीण एवं शहरी महिलाओं को माइक्रोक्रेडिट माइक्रोफाइनेंस मिलने से उनमें आत्मविश्वास आता है। निदेशक आईक्यूएसी प्रो. संतोष कुमार ने कहा कि महिलाओं की भूमिका अभी तक परदे के पीछे रही है। यही कारण है कि इन्हें समुचित रूप से मान्यता नहीं मिल पाई है। कार्यक्रम के संयोजक प्रो. अतुल जोशी ने कहा कि किसी भी राष्ट्र का विकास महिलाओं के विकास पर निर्भर करता है। यदि महिला सशक्त हो जाएगी तो देश स्वयं ही विकसित हो जाएगा। क्योंकि महिलाएं ही घर, समाज और अंततः एक राष्ट्र का निर्माण करती हैं। उन्होंने कहा कि महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए आर्थिक स्वतंत्रता को सुनिश्चित करना होगा ताकि महिलाओं को समाज में समान अवसर मिल सके।
स्वयं सहायता समूह संचालकों ने बताई उपलब्धियां कार्यक्रम में पहुंचे स्वयं सहायता समूह संचालकों ने महिलाओं की ओर से स्टार्टअप शुरू कर अन्य महिलाओं को रोजगार से जोड़ने की पहल और इसमें मिली उपलब्धियां बताई। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में पहाड़ की महिलाएं भी आत्मनिर्भर बन रही हैं। स्वरोजगार के साथ ही वह अन्य को रोजगार से जोड़ने में सक्षम हैं। हालांकि इसके बाद भी महिलाओं को सहयोग कर आगे बढ़ाने की जरूरत है। कार्यक्रम में 50 से अधिक शोध पत्र भी पढ़े गए।
इस मौके पर परिसर निदेशक प्रो. नीता बोरा शर्मा, प्रो. ललित तिवारी, प्रो. चंद्रकला रावत, प्रो. चित्रा पांडे, प्रो. सीएस जोशी, प्रो. पीएन तिवारी, प्रो. लता पांडे, प्रो. अमित जोशी, प्रो. मुकेश जोशी, प्रो. एमसी पांडे, प्रो. पीसी सुयाल, डॉ. आरती पंत, डॉ. विजय कुमार, डॉ. ममता लोहुमी, डॉ. निधि वर्मा, डॉ. हिमानी जलाल, अंकिता आर्या, डॉ. जीवन उपाध्याय, डॉ. तेजप्रकाश, डॉ. पूजा जोशी, डॉ. विनोद जोशी, रितिशा शर्मा, डॉ. गौतम रावत, आस्था अधिकारी, सूबिया नाज, मीनू जोशी, पंकज भट्ट, अनिल ढैला, घनश्याम पालीवाल, बिशन आदि रहे। कार्यक्रम का संचालन डॉ. निधि वर्मा एवं रितिशा शर्मा ने किया।