यूं तो दीपावली का पर्व देशभर में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है उत्तराखंड में इस पर्व का अपना विशेष महत्व है। दीपोत्सव के अवसर पर यहां पर घर आंगन को परंपरागत कला से सुसज्जित किया जाता है, जिसमें रंगोली और ऐपण कला से तैयार किए हुए विभिन्न एवं विशेष आकृतियां शामिल हैं ।
संस्कृति कर्मी गौरीशंकर काण्डपाल बताते हैं कि, *गेरू(एक प्रकार की लाल मिट्टी) से तैयार किए जाने वाले धरातल पर चावल से तैयार किए गए बिस्वार से ऐपण कला के विभिन्न डिजाइन* बनाए जाते हैं । उत्तराखंड में यह परंपरागत कला सदियों से चली आ रही है।
विश्वार से तैयार की जाने वाली ऐपण में दीपावली के लक्ष्मी पौ (पाँव ), फूल पत्तियों सहित डिजाइन, बेल एवं बंदनवार आदि बनाए जाते हैं ।
आधुनिक समय में महिलाएं तथा अविवाहित लड़कियाँ रंगोली की खूबसूरत डिजाइन से भी घरों को सजाने लगे हैं।
रॉयल एनक्लेव कमालुआगंजा में श्रेया भट्ट के साथ अंजली फर्त्याल,दिया पंत के द्वारा पारंपरिक रंगोली तैयार की गई । जिसके माध्यम से उनके द्वारा शुभम करोति कल्याणम,अरोग्यम धन संपदा।
शत्रु-बुद्धि विनाशायः,दीपःज्योति नमोस्तुते । की कामना से समाज के प्रत्येक वर्ग के सुख और समृद्धि पूर्ण दीपावली पर्व के साथ-साथ गोवर्धन एवं भाई दूज पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं एवं बधाई प्रेषित की है।