नैनीताल। नगर के मॉल रोड पर लगातार खतरा तेजी से बढ़ रहा है। शुक्रवार को शहर की लोअर मॉल रोड पर लंबी दरारें पड़ गई। जिसके बाद लोक निर्माण विभाग इन दरारों को भरने के लिए खानापूर्ति करते हुए इन दरारो में डामर भरने में जुटा है।आगे पढ़ें
बता दे कि लोअर माल रोड का 25 मीटर हिस्सा 18 अक्टूबर 2018 को मुस्कान के चलते क्षतिग्रस्त हो गया था। जिसके बाद से लगातार मॉल रोड के विभिन्न हिस्सों में दरारें पड़ रही है। हालांकि लोक निर्माण विभाग समय-समय पर इन दरारों को भरने का काम कर रहा है। लेकिन पांच साल बीत जाने के बावजूद भी अब तक सड़क का स्थाई ट्रीटमेंट कार्य शुरू नहीं हो सका जिसके चलते लगातार मॉलोरोड में दरारे बढ़ रही हैं। जिससे शहर की ऐतिहासिक और ब्रिटिश कालीन मॉल रोड के सामने अब फिर से एक बड़ा खतरा मंडराने लगा है। लोक निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता दीपक गुप्ता ने बताया पूर्व में विभाग ने डीपीआर शासन को भेजी थी। जिसमें तकनीकी कमियों के चलते एसडीएमएस ने डीपीआर को वापस लोक निर्माण विभाग को भेजा है। जिस कमी को विभाग ने दुरुस्त करवा लिया है और जल्द ही भी प्यार वापस शासन को भेजी जाएगी।आगे पढ़ें
मॉल रोड के स्थाई उपचार को लेकर पूर्व में आईआईटी रुड़की ने अध्ययन कर कार्य योजना बनाई थी। जिस पर विभाग को सफलता हाथ नहीं लगी तो वहीं विभाग ने मॉल रोड के स्थाई और सटीक उपचार जिम्मेदारी टिहरी हाइड्रो डेवलपमेंट कारपोरेशन लिमिटेड (टीएचडीसी) को दी। जिसके बाद टीएचडीसी की टीम ने नैनीताल पहुंचकर शहर की मॉल रोड का गहनता से निरीक्षण कर तीन करोड़ पचास लाख रुपए का प्रस्ताव बनाकर विभाग को दिया है। जिससे अब मॉल रोड का स्थाई उपचार हो सकेगा। जानकारी देते हुए लोक निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता दीपक गुप्ता का कहना है कि पूर्व में टीएचडीसी की टीम ने मॉल रोड का सर्वे और अध्ययन किया था। टीएचडीसी ने मॉल रोड क्षतिग्रस्तक्षेत्र के 250 मीटर क्षेत्र में टोपोग्राफिकल सर्वे और जियोलाजिकल मैपिंग की। जिसमे पता चला थी कि जिस स्थान पर सड़क में धंसाव हो रहा है उसके ठीक नीचे भारी भूजल का रिसाव हो रहा है जिससे मिट्टी को को जोड़ कर रखने वाले फाइनर पार्टिकल कण पानी के साथ घुल कर झील में समा रहे हैं। जिसके चलते मालरोड क्षेत्र में इस तरह कि घटनाएं देखने को मिल रही है। मॉल रोड के अध्ययन के बाद टीएचडीसी ने रोड के स्थाई उपचार के लिए तीन करोड़ पचास लाख रुपए की डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार की। जिसे विभाग ने स्वीकृति के लिए शासन के पास भेजा।