नैनीताल। 14 फरवरी को उत्तराखंड में लोकतंत्र के महापर्व का शांतिपूर्ण तरीके से समापन हुआ और 10 मार्च को सभी प्रत्याशियों के राजनीतिक भविष्य का परिणाम भी सामने आ गया जिसके बाद भाजपा एक बार फिर से प्रदेश में पूर्ण बहुमत से सरकार बनाने जा रही है।
नैनीताल विधानसभा सीट पर भाजपा से कांग्रेस में शामिल हुए संजीव आर्य तथा कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुई सरिता आर्य के बीच मुकाबला हुआ था, जिसमें भाजपा प्रत्याशी सरिता आर्य ने लगभग आठ हजार मतों के अंतर से जीत दर्ज कर ली।
राजनीतिक विशेषज्ञों के अनुसार कांग्रेस प्रत्याशी संजीव आर्य अति आत्मविश्वास के चलते नैनीताल सीट गवा बैठे, विशेषज्ञों के अनुसार नैनीताल सीट में अहम भूमिका निभाने वाले बेतालघाट ब्लॉक कांग्रेस प्रत्याशी संजीव आर्य के पिता यशपाल आर्य का गढ़ माना जाता है, लेकिन कांग्रेस वहीं से हार गई इसका मुख्य कारण रहा यशपाल आर्य का चुनाव के दौरान एक बार भी बेतालघाट क्षेत्र में प्रचार प्रसार नहीं करना। जबकि संजीव आर्य व जनता के बीच कम्युनिकेशन गेप भी हार का दूसरा कारण रहा है। वहीं विशेषज्ञों का कहना है कि चुनाव के दौरान संजीव आर्य संगठन पर पूर्ण विश्वास नही जता पाए तथा कार्यकर्ताओ को एकजुट व उनका भरोसा नहीं जीत पाए जिससे कार्यकर्ताओं का मनोबल गिर गया। और हार की यह तीसरी वजह बनी।
नैनीताल विधानसभा: अति आत्मविश्वास ले डूबा कांग्रेस को
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