कुमाऊँ

महिलाओं के लिए मिशाल अल्मोड़ा की कमला मौनपालन से हर वर्ष कम रही है लाखों

अल्मोड़ा। खत्याड़ी ग्राम पंचायत मनोज विहार कॉलोनी निवासी कमला भंडारी महिला सशक्तीकरण की मिशाल पेश कर रही हैं। मौनपालन को उन्होंने स्वरोजगार के रुप में अपनाया है। ग्यारह साल की कड़ी मेहनत के बाद ई मौनपालन से प्रतिवर्ष करीब छह क्विंटल शहद का उत्पादन कर चार लाख रुपये से अधिक की आय अर्जित कर रही हैं। उनके शहद की काफी मांग है।

कमला को मौन पालन की प्रेरणा उनके दादा से मिली। वे ग्यारह वर्ष पहले मौनपालन से जुड़ीं और खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड के माध्यम से मौन पालन का प्रशिक्षण लिया। इसके बाद उन्होंने दो बॉक्स खरीदकर वर्ष 2013 में अपने घर पर मौन पालन शुरू किया। वर्ष 2016 में प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम के अंतर्गत ऋण लेकर मौनपालन को व्यवसाय के रूप में शुरू किया। 

उंन्होने एसबीआई आरसेटी से भी उद्यमिता विकास का प्रशिक्षण प्राप्त किया और मौन पालन व्यवसाय को आगे बढ़ातीं रहीं।वर्तमान में उनके पास मधुमक्खी के 200 से अधिक बाक्स हैं। वह उद्यान विभाग के माध्यम से भी मौनवंश की सप्लाई करती हैं। 

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कमला महिलाओं को भी मौनपालन के लिए प्रेरित कर रही है कमला भंडारी मौनपालन के लिए महिलाएं को भी प्रेरित कर रही हैं ताकि महिलाएं स्वयं का स्वरोजगार शुरू आत्मनिर्भर बन कर सकें। अब तक वह व्यक्तिगत रूप से करीब 60 महिलाओं को मधुमक्खी पालन का प्रशिक्षण दे चुकी हैं। उन्हें मधुमक्खी के बाक्स भी उपलब्ध कराए। समूहों के माध्यम से भी वह महिलाओं को प्रशिक्षण देकर मौनपालन से जोड़ रही हैं। अनेक परियोजनाओं के स्वयं सहायता समूहों की 100 से अधिक महिलाएं उनसे जुड़ी हैं।

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