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देहरादुन/नैनीताल। कल्चरल एम्बेसडर युवा लेखक व सोधकर्ता अभिजीत सिंह ने चुनाव में मतदाताओं की प्रत्याशियों से क्या मांग रहती है इस पर उन्होंने उत्तराखंड के ग्रामीण क्षेत्रो में महिलाओं से बात की है।उनका कहना है कि है कि स्थानीय चुनाव, किसी भी लोकतंत्र के सबसे महत्वपूर्ण आधार हैं, क्योंकि ये सीधे जनता की ज़िंदगी और उनके क्षेत्रीय मुद्दों से जुड़े होते हैं। उत्तराखंड जैसे पहाड़ी राज्य में,जहां प्राकृतिक संसाधन, भूगोल और संस्कृति का गहरा प्रभाव है, वहां मतदाताओं की अपेक्षाएँ और भी विशिष्ट हो जाती हैं। जो लोग राजनीति पर बहुत अधिक समय बिताते हैं, जो समाचार पढ़ने, नीतियों पर सोचने और रोज़मर्रा की राजनीति की जटिलताओं पर चिंतित होने पर उसे अपनी ज़िंदगी और शायद आजीविका बनाते हैं, वे अक्सर एक सामान्य अभिशाप से ग्रस्त होते हैं: “हम मान लेते हैं कि हर कोई हमारी तरह सोचता है।मैं यह उन लोगों की आलोचना के रूप में नहीं कह रहा हूँ जो ख़बरों की हर समय अपडेट पाने की आदत में लगे रहते हैं, हालांकि शायद ऐसा करना चाहिए।और निश्चित रूप से मैं उन लोगों का अपमान नहीं करना चाहता जो समझदारी से खुद को मिनट-दर-मिनट खबरों की औद्योगिक प्रक्रिया से दूर रखते हैं।आगे पढ़ें मूलभूत आवश्यकताओं की माँग….
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मूलभूत आवश्यकताओं की माँग।पानी, बिजली, सड़क और स्वास्थ्य सेवाएँ उत्तराखंड के ग्रामीण और शहरी मतदाताओं की प्राथमिक आवश्यकताओं में से हैं। बगोरी उत्तरकाशी की एक स्थानीय निवासी कहती हैं,”हम चुनाव में वोट इसलिए देते हैं ताकि हमारे गाँव तक सड़क बने और हमारे बच्चे स्कूल जा सकें।” पिछले वर्षों में, राज्य के कई दूरस्थ इलाकों में बुनियादी सुविधाओं की कमी ने लोगों को उनके मूल अधिकारों से वंचित किया है। यह स्पष्ट है कि जनता ऐसे उम्मीदवारों को चाहती है जो इन बुनियादी आवश्यकताओं पर ध्यान दें।आगे पढ़ें नैतिकता और ईमानदारी का महत्व…..
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नैतिकता और ईमानदारी का महत्व: उत्तराखंड की संस्कृति में नैतिकता और ईमानदारी का गहरा प्रभाव है। क्षेत्रीय समुदायों का मानना है कि नेता केवल वादे न करें, बल्कि उन्हें पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध हों। अल्मोड़ा जिले के एक बुजुर्ग किसान, मोहन सिंह ने कहा, “हमें ऐसे नेता चाहिए जो हमारे साथ खड़े हों, न कि चुनाव जीतने के बाद गायब हो जाएं प्रश्न जब यह उठता है तो यह वाक़ई समस्या के तौर पर जनता जनार्दन को महसूस हो रहा है।आगे पढ़ें युवाओं की अपेक्षाएँ और रोजगार का मुद्दा…..
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युवाओं की अपेक्षाएँ और रोजगार का मुद्दा। स्थानीय चुनावों में अब युवा भी बड़ी भूमिका निभा रहे हैं। राज्य के पहाड़ी क्षेत्रों से बढ़ते पलायन के कारण, रोजगार का मुद्दा सबसे अधिक चर्चा में है। युवा मतदाता चाहते हैं कि उनके क्षेत्रों में स्वरोजगार और विकास के अवसर बढ़ें। नैनीताल के एक छात्र ने कहा, “हमने अपनी पढ़ाई पूरी की, लेकिन अब हमें रोजगार के लिए शहर जाना पड़ता है। हमें ऐसे नेताओं की जरूरत है जो पहाड़ों में ही रोजगार के अवसर पैदा करें।” यहाँ सवाल यह भी उठता है विद्यार्थियों के मनपसंद विषय भी कॉलेज में आने चाहिए जैसे कि मानव विज्ञान जैसे विषय पूरे कुमाऊँ में नहीं है Iआगे पढ़ें सांस्कृतिक और सामाजिक जागरूकता की अपेक्षा…….
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सांस्कृतिक और सामाजिक जागरूकता की अपेक्षा। उत्तराखंड जैसे सांस्कृतिक रूप से समृद्ध राज्य में, लोग अपने नेताओं से सामाजिक और सांस्कृतिक पहचान की रक्षा करने की अपेक्षा रखते हैं। लोकगीत, त्योहार और परंपराएँ यहां की आत्मा हैं। मानव विज्ञान के दृष्टिकोण से, चुनावों में यह एक महत्वपूर्ण कारक बनता है। जैसे कि प्रसिद्ध समाजशास्त्री क्लिफोर्ड गिरत्ज़ ने कहा था,संस्कृति किसी समाज की कहानियों का जाल है। उत्तराखंड के लोग अपने प्रतिनिधियों से उम्मीद करते हैं कि वे उनकी सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने के लिए काम करेंगे I यहाँ पर मुख्य विषय आता है भू-कानून प्रथम सिढी सांस्कृतिक बचाव में है अपने भू अर्थात् भूमि की रक्षा तथापि उसकी जनता और उनकी संस्कृति की सुरक्षा, यहाँ एक अहम विषय भी उठता है महिला सशक्तिकरण और भागीदारी जिसमें उत्तराखंड की महिलाएँ, जो परंपरागत रूप से जल, जंगल और ज़मीन की देखभाल में सक्रिय रही हैं, अब नेतृत्व में अपनी भागीदारी चाहती हैं। महिलाएँ उन उम्मीदवारों का समर्थन करना चाहती हैं जो उनके अधिकारों और भागीदारी को प्राथमिकता दें।आगे पढ़ें भ्रष्टाचार और पारदर्शिता पर ज़ोर…….
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भ्रष्टाचार और पारदर्शिता पर ज़ोर।भ्रष्टाचार के मुद्दे ने स्थानीय स्तर पर भी लोगों को झकझोर दिया है। मतदाता अब पारदर्शी और उत्तरदायी नेतृत्व की माँग करते हैं। इसका मुख्य कारण यह है कि लोग समझ चुके हैं कि भ्रष्टाचार के कारण उनके क्षेत्र का विकास रुकता है।स्थानीय चुनाव केवल सत्ता के लिए संघर्ष नहीं हैं,बल्कि यह जनता की आकांक्षाओं और उनके विश्वास को प्रदर्शित करते हैं।उत्तराखंड में मतदाता चाहते हैं कि उनके प्रतिनिधि ईमानदारी, पारदर्शिता और सांस्कृतिक समझ के साथ काम करें। जैसा कि प्रसिद्ध मानववैज्ञानिक मार्गारेट मीड ने कहा था, “कभी भी यह न सोचें कि एक छोटे समूह के सोच-विचार करने वाले नागरिक दुनिया को बदल नहीं सकते।” उत्तराखंड के मतदाता बदलाव चाहते हैं और यह समय है कि उनके उम्मीदवार उनकी इन वास्तविक जरूरतों और आकांक्षाओं को समझें और उन पर काम करें। जो मात्र इस बार बातें ना करते हुए इन बातों पर विचार दें Iआगे पढ़ें लेखक अभिजीत के बारे में……
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लेखक का परिचय।लेखक अभिजीत सिंह देवड़ी ईशू दिल्ली विश्वविद्यालय के मानवविज्ञान विभाग से स्नातक हैं और वर्तमान में दिल्ली विश्वविद्यालय तथा अमेरिका के सेंटर फॉर एकेडमिक रिसर्च एंड ट्रेनिंग इन एंथ्रोपोजनी (CARTA) से संबंधित हैं। उन्होंने “ए मैन इज़ इक्वल्स टू अ कॉइन” पुस्तक सहित कथक नृत्य, हिमालयी अध्ययन, मानव विकास, और उत्तराखंड की नृजातीयता पर कई शोधपत्र लिखे हैं।ऑनर ऑफ नैनीताल 2020 व कल्चरल एंबेसडर कुमाऊँ सम्मान से सम्मनित हो चुके है।https://www.facebook.com/kumaunvani?mibextid=ZbWKwL