नैनीताल। पहले भाजपा फिर कांग्रेस और अब एक बार से भाजपा का दामन थाम चुके हेम आर्य की राजनीतिक किस्मत उनसे अभी तक रूठी हुई है 2017 से पहले भाजपा के सिपाही बनकर उन्होंने 2017 विधानसभा चुनाव के लिए अपनी राजनीतिक पिच तैयार की थी,लेकिन उस पर बैटिंग करने के लिए संजीव आर्य पहुंच चुके थे,और निराश होकर होने भाजपा का दामन छोड़ निर्दलीय चुनाव लड़ा और निराशा ही हाथ लगी। फिर उन्होंने कांग्रेस का हाथ पकड़ लिया और 2022 के लिए फिर से एक बार अपनी पिच तैयार कर ली और फिर से उसमें बैटिंग करने के लिए संजीव आर्य पहुंच गए, ऐसे में फिर उनके हाथ निराशा लगी और उन्होंने फिर से भाजपा का दामन थाम लिया लेकिन इस बार भी भाजपा से मोहन पाल व दिनेश आर्य के होते हुए उनको यहाँ पर भी टिकट मिलने की संभावनाएं नही के बराबर है ऐसे में अब लोगो के मन में एक ही सवाल बना हुआ है कि आखिर अब हेम आर्य क्या सोच कर भाजपा में शामिल हुए, क्या अब हेम का विधायक बनने का सपना सपना ही बन कर रह जाएगा।
वही लोगों का कहना है कि अगर ही मारिया ने 2017 में भाजपा नहीं छोड़ी होती तो उनके पास राज्यमंत्री का दर्जा भी होता और साथ ही 2022 विधानसभा चुनाव में वे टिकट के प्रबल दावेदार भी होते।
क्या हेम आर्य का सपना हो पाएगा कभी पूरा
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