धर्म-संस्कृति

गुप्त नवरात्रि का शुभारंभ,क्या है गुप्त नवरात्रि का महत्व यहां जाने:ज्योतिषाचार्य डॉ.मंजू जोशी

हिंदू धर्म में नवरात्रि का विशेष महत्व है। शास्त्रानुसार वर्ष में चार बार नवरात्रि का आगमन होता है। जिसमें से दो बार सामान्य नवरात्रि एवं दो बार गुप्त नवरात्र होते हैं। नवरात्रि में देवी के नौ रुपों की पूजा की जाती है। ठीक इसी तरह गुप्त नवरात्री में मां दुर्गा के दस महाविद्याओं की साधना की जाती है। गुप्त नवरात्री के दौरान भक्तगण त्रिपुरा भैरवी, मां ध्रूमावती, मां बंगलामुखी, मां काली, तारा देवी, त्रिपुर सुंदरी, माता भुवनेश्वरी, माता छिन्नमस्ता, माता मातंगी और कमला देवी की विशेष पूजा का विधान है। गुप्त नवरात्र में की गई पूजा अर्चना से व्यक्ति के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं।आगे पड़े

माघ माह की शुक्ल पक्ष प्रतिपदा तिथि से नवमी तिथि तक गुप्त नवरात्रि पर्व मनाया जाता है। माघ गुप्त नवरात्र सिद्धि योग के साथ प्रारंभ होगी। एवं तीन सर्वार्थ सिद्धि योग जोकि क्रमशः 26, 27 एवं 30 जनवरी को एवं एक अमृत सिद्धि योग 27 जनवरी को होने से नवरात्रि का पर्व और विशेष फल प्रदान करने वाला रहेगा। आगे पढ़ें

कलश स्थापना शुभ मुहूर्त कलश स्थापना 22 जनवरी को प्रातः सिद्धि योग प्रारंभ के साथ ही 10:04 से व अभिजीत मुहूर्त में दोपहर 12:11 से 12:54 पर शुभ। आगे पढ़ें

गुप्त नवरात्रि क्या हैं: हिन्दू धर्म के अनुसार हर वर्ष चार नवरात्र होते है जिनमें से दो को प्रत्यक्ष नवरात्र कहा गया है क्योंकि इनमें गृहस्थ आश्रम से जुड़े जातक पाठ करते हैं वहीं दो को गुप्त नवरात्र कहा गया है, जिनमें साधक-संन्यासी, सिद्धि प्राप्त करने की इच्‍छा करने वाले लोग, तांत्रिक आदि देवी मां की उपासना करते हैं। हालांकि चारों नवरात्र देवी सिद्धि प्रदान करने वाली होती हैं, लेकिन गुप्त नवरात्र के दिनों में देवी की दस महाविद्याओं की पूजा की जाती है, जिनका तंत्र शक्तियों और सिद्धियों में विशेष महत्व है। वहीं, प्रत्यक्ष नवरात्र में सांसारिक जीवन से जुड़ी चीजें देने वाली देवी के नौ रूपों की पूजा होती है। गुप्त नवरात्र में सामान्य लोग भी किसी विशेष इच्छा की पूर्ति या सिद्धि के लिए गुप्त नवरात्र में साधना कर सकते हैं।आगे पढ़ें

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गुप्त नवरात्रि पूजा विधि: नित्य कर्म से निवृत्त हो स्नानादि के उपरांत पूजा स्थल को स्वच्छ करें अखंड दीपक प्रज्वलित करें। पूजा का संकल्प लें। कलश स्थापना करें। कलश स्थापना के उपरांत मां दुर्गा की श्री मूर्ति को चौकी पर स्थापित करें। गंगा जल से स्नान कराएं। देवी दुर्गा को लाल वस्त्र अर्पित करें एवं रोली, कुमकुम, अक्षत, फूल, मीठी पान सुपारी पंचमेवा पंच मिठाई एवं फल का भोग लगाएं व घी के दीपक जलाएं। प्रतिदिन सुबह-सुबह मां दुर्गा की पूजा करें। अष्टमी और नवमी को नौ कन्याओं को भोजन कराकर नवरात्रि के उपवास का परायण कर मां का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

ज्योतिषाचार्य डॉ मंजू जोशी 8395806256

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