नैनीताल। डीएसबी परिसर इतिहास विभाग के शोधार्थी शिवराज सिंह कपकोटी की पीएचडी की मौखिक परीक्षा सम्पन्न हुयी। बाह्य परीक्षक के रुप में प्रो.अभय कुमार सिंह, कुलपति, नालंदा केन्द्रीय विश्वविद्यालय, राजगीर, बिहार ने ऑनलाइन माध्यम से मौखिक परीक्षा ली। शिवराज सिंह कपकोटी का शोध शीर्षक पद्मश्री डॉ. यशोधर मठपाल का सांस्कृतिक अवदान एक ऐतिहासिक मूल्यांकन है।शिवराज ने अपना शोध प्रबन्ध प्रो.सावित्री कैड़ा जन्तवाल के निर्देशन में पूरा किया। डॉ० मठपाल जैसे बहुआयामी व्यक्तित्व पर कार्य करना एक चुनौतीपूर्ण कार्य था। फिर भी शिवराज ने इस चुनौतीपूर्ण कार्य को सम्पन्न करने का बीड़ा उठाया।बता दे कि शिवराज विगत 20 वर्षों से इतिहास विभाग, डीएसबी परिसर, नैनीताल में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी (संविदा) पर कार्यरत है। कुमाऊँ विश्वविद्यालय में यह पहला मामला है कि किसी चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी ने पी-एच०डी० की है। वो भी उन्होंने यूजीसी रेगूलेशन 2009-2010 के तहत पीएचडी प्रवेश परीक्षा पास कर मेरिट के आधार पर पीएचडी प्रवेश लेकर अपना शोध कार्य सम्पन्न किया है।यह उत्तराखण्ड का भी पहला मामला तो है ही कदाचित यह भारत देश का भी पहला मामला हो सकता है कि किसी चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी वो भी संविदा में ने यह कारनामा किया हो।आगे पढ़ें क्या कहा शिवराज ने…….
अपनी इस उपलब्धि पर शिवराज कहते है कि यह मेरा सौभाग्य है कि मुझे डीएसबी परिसर, कुमाऊँ विश्वविद्यालय, नैनीताल में सेवा करने का अवसर मिला तो मैं ऐसे विद्वत जनों के संपर्क में आया कि मुझे अपने जीवन में कुछ नया करने की प्रेरणा मिली। इस हेतु शिवराज ने माता-पिता तथा प्रो.अजय रावत, पद्मश्री प्रो.शेखर पाठक आदि शिक्षकों का आभार व्यक्त किया है साथ ही कुलपति प्रो.दीवान सिंह रावत का आभार व्यक्त किया है।शिवराज ने बताया कि विशेष रुप से प्रो. गिरधर सिंह नेगी, डॉ.भुवन चन्द्र शर्मा का आभार व्यक्त करना चाहता हूँ कि उनके मार्गदर्शन और सहयोग के बिना यह शोध कार्य पूरा करना असंभव था। मैं इसके लिए आजीवन उनका आभारी रहूंगा।शिवराज कि इस उपलब्धि प्रो. संजय घिल्डियाल, संजोजक एवं विभागाध्यक्ष, इतिहास विभाग,प्रो. संजय कुमार टम्टा,डॉ.शिवानी रावत,डॉ. रितेश साह, डॉ.मनोज सिंह बाफिला,डॉ.पूरन सिंह अधिकरी,डॉ. हरदयाल सिंह जलाल,डॉ बिरेन्द्र पाल,भुवन पाठक आदि ने खुशी व्यक्त की।