उत्तराखण्ड

हिंदू नूतन वर्ष:नव संवत्सर 2082 सिद्धार्थी नाम संवत्सर:जाने क्या- क्या है इस वर्ष में विशेष:ज्योतिषाचार्य डॉ. मंजू जोशी

30 मार्च रविवार को हिंदू नूतन वर्ष तथा नवरात्रि का प्रारंभ होगा। चैत्र शुक्ल पक्ष प्रतिपदा को हिंदू नव वर्ष मनाया जाता है। इस नूतन वर्ष पर देवी भगवती हाथी पर सवार होकर पृथ्वीलोक में विचरण करेंगी। तथा हाथी पर ही सवार होकर प्रस्थान करेंगी।नवरात्रि पर अनेक शुभ योग बन रहे हैं ,शुक्र और चंद्रमा की युति से कलात्मक योग, सर्वार्थ सिद्धि योग तथा इंद्र योग होने से नवरात्रि अत्यंत ही शुभ फल प्रदान करने वाली रहेगी।आगे पढ़ें क्या है इस वर्ष में विशेष……

ब्रह्म पुराण के अनुसार ब्रह्मा द्वारा इसी दिन से सृष्टि का निर्माण प्रारंभ किया गया था। अतः इसी को आधार मानकर कालगणना का सिद्धांत प्रारंभ हुआ।हिंदू रीति रिवाज एवं पर्वों का कोई न कोई वैज्ञानिक प्रयोजन अवश्य होता है चैत्र माह में नव वर्ष मनाने का ध्येय यह रहता है कि इस समय प्रकृति का नव निर्माण प्रारंभ होता है। पतझड़ समाप्त होकर बसंत ऋतु के आगमन से प्रकृति हरी भरी हो जाती है। चारों ओर सुंदर पुष्प एवं हरियाली देखने को मिलती है। इसके अतिरिक्त *नव वर्ष से प्रकृति एवं धरती का एक चक्र पूरा होता है धरती सूर्य का एक चक्कर पूर्ण करती है।आगे पढ़ें क्या क्या है विशेष….

हिंदू नव संवत्सर के साथ ही नवरात्रि प्रारंभ होती हैं।इस वर्ष संवत्सर का नाम सिद्धार्थी होगा जिसमें ग्रहों में राजा कहे जाने वाले सूर्य देव राजा एवं देव स्वयं ही मंत्री पद का कार्य भार भी संभालेंगे।सिद्धार्थी नाम सम्वत्सर होने से प्रजा ज्ञान ,वैराग्य से युक्त होगी। संपूर्ण पृथ्वी पर प्रसन्नता रहेगी। अन्न, जल पर्याप्त रहेगा,पृथ्वी अन्नपूर्ण होगी। राजा( सरकार) सुखी रहेंगे। तथा प्रजा की सेवा को तत्पर रहेंगे। अन्न का उत्पादन उत्तम रहेगा किंतु रोग अधिक फैलेंगे।आगे जाने क्या है विशेष…….

राजा सूर्य।यदि वर्ष के राजा सूर्य देव हों, फलों का उत्पादन कम मात्रा में होगा, वर्षा कम होगी, गायों में दूध उत्पादन कम होगा, प्रजा पीड़ित रहेगी, धान्य कम होगा, फलों का उत्पादन कम देखने को मिलेगा साथ ही अग्नि भय, जनहानि, चोरों का आतंक, राज्यों में विग्रह रह सकता है। स्वजनों के वियोग से पीड़ा आदि का दुख हो सकता है, साथ ही हृदय संबंधी,नेत्र संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है अर्थात प्रजा को दुख और वर्षा कम होगी। सूर्य राजा होने से राजकीय सेवाओं/कार्यों से जुड़े हुए व्यापारियों/ नौकरी पेशा वर्ग के लिए संवत्सर 2082 विशेष लाभकारी रहेगा। व्यापार में नए आयाम स्थापित होंगे। आय में बढ़ोतरी होगी। नए कार्यों के लिए वर्ष शुभ फल कारक रहेगा।सूर्य देव मंत्री।संवत्सर 2082 में मंत्री पद पर सूर्य देव आसीन होने के कारण चोरों का भय बढ़ेगा, पृथ्वी पर धन-धान्य अधिक होगा, रसों का संग्रह बढ़ेगा, रसादि पदार्थों से व्यापार में उन्नति प्राप्त होगी।आगे पढ़ें अन्य ग्रहों का पदभार…….

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अन्य ग्रहों का पदभार।1–सस्येश तथा नीरसेश के स्वामी बुध देव रहेंगे।2–मेघेष का पद भार सूर्य देव को प्राप्त हुआ है।3–दानव गुरु शुक्राचार्य को रसेश का कार्यभार।4–धनेश का दायित्व मंगल देव को प्राप्त हुआ है।5–धान्येश का पदभार चंद्रदेव को प्राप्त होगा।6–फलेश तथा दुर्गेश का पदभार न्यायाधिपति शनि महाराज को प्राप्त होगा। वर्ष 2025 में 4 बड़े ग्रह राशि परिवर्तन कर रहे हैं। 30 वर्षों के उपरांत पुनः 29 मार्च 2025 को शनि महाराज का गोचर मीन राशि में होने जा रहा है, जिससे अनेक राशियां प्रभावित होगी और अनेक प्रकार के सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव देखने को मिलेंगे। मेष, मीन और कुंभ राशि में शनि की साडेसाती का प्रभाव तथा सिंह व धनु राशि में शनि की ढैया प्रारंभ होगी। 14 मई 2025 को बृहस्पति का गोचर मिथुन मे और 18 मई 2025 को राहु एवं केतु  का गोचर कुंभ और सिंह में होगा।आगे पढ़ें कब कब है ग्रहण

वर्ष में चार ग्रहण।वर्ष में चार ग्रहण पड़ेंगे जिसमें दो सूर्य ग्रहण एवं दो चंद्रग्रहण होंगे।वर्ष का प्रथम चंद्र ग्रहण  दिनांक 07 सितंबर 2025 को खग्रास पूर्ण चंद्र ग्रहण रहेगा।दिनांक 21 सितंबर 2025 को खंडग्रास सूर्य ग्रहण रहेगा।दिनांक 17 फरवरी 2026 को कंकणाकृति सूर्य ग्रहण रहेगा।दिनांक 03 मार्च 2026 खग्रास/खण्डग्रास ग्रस्तोदित चंद्र ग्रहण रहेगा।

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