नैनीताल। मंगलवार को नगर के समीपवर्ती ग्रामीण क्षेत्रो में गंगा दशहरा का पर्व धूमधाम से मनाया गया।लोगो ने द्वार पत्रों को अपने घरों के चैखटों पर चिपकाया गया। प्रत्येक वर्ष जेष्ठ शुक्ल पक्ष दशमी तिथि को गंगा अवतार दिवस मनाया जाता है।उत्तराखण्ड में गंगा दशहरा पर्व मनाने का एक अलग ही उत्साह है, यहां पर गांवों में गंगा दशहरा पर्व पर मंदिरों के चैखटों में रंग-बिरंगे द्वार पत्र लगाये जाते है। गांव के प्ररोहित द्वारा अपने हाथों से द्वार पत्र बनाते है व अपने हाथों से इन्हें यजमानों को दिया करते हैं और बदले में उन्हें यजमानों द्वारा श्रद्धा पूर्वक दक्षिणा प्रदान की जाती है। उन द्वार पत्रों को घर के मुख्य द्वार पर मंदिर व घर के सभी द्वार पर चिपकाया जाता है। मान्यतानुसार यह द्वार पत्र सुरक्षा कवच की तरह काम करता है इससे सभी प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।आगे पढ़ें……
ज्योतिषाचार्य डॉ. मंजू जोशी ने बताया कि स्कन्दपुराण के अनुसार माना जाता है भागीरथ अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए धरती पर गंगा को लाना चाहते थे। क्योंकि एक श्राप के कारण केवल मां गंगा ही उनका उद्धार पर सकती थी। जिसके लिए उन्होंने मां गंगा की कठोर तपस्या की। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर मां गंगा ने दर्शन दिए और भागीरथ ने उनसे धरती पर आने की प्रार्थना की। फिर मां गंगा ने प्रसन्न होकर कहा मैं धरती पर आने के लिए तैयार हूं लेकिन मेरी तेज धारा धरती पर प्रलय ले आएगी। जिस पर भागीरथ ने उनसे इसका उपाय पूछा और मां गंगा ने भगवान भोलेनाथ जी को इसका उपाय बताया। मां गंगा के प्रचंड वेग को नियंत्रित करने के लिए भगवान शिव ने उन्हें अपनी जटाओं में समा लिया जिससे धरती को प्रलय से बचाया जा सके और तत्पश्चात गंगा मां को नियंत्रित वेग से पृथ्वी पर जनमानस के उद्धार के लिए प्रवाहित किया। जिसके बाद भागीरथ ने अपने पूर्वजों की अस्थियां प्रवाहित कर उन्हें मुक्ति प्रदान की व पवित्र मां गंगा को धरती पर ला कर जनमानस का कल्याण किया।