धर्म-संस्कृति

शुक्रवार पापमोचनी एकादशी पर विशेष:ज्योतिषाचार्य डॉ मंजू जोशी

5 अप्रैल 2024 शुक्रवार को पापमोचनी एकादशी का उपवास रखा जाएगा।हिंदू धर्म में  पापमोचनी एकादशी का विशेष महत्व है। मान्यता है कि पापमोचिनी एकादशी का उपवास रखने मात्र से ही भक्तों के सभी रोग शोक सभी प्रकार के पाप एवं कष्टों का नाश हो जाता है। पापमोचिनी एकादशी का महत्व स्वयं भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को बताया था। भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि जो व्यक्ति इस व्रत को रखता है, उसके समस्त पाप खत्म हो जाते हैं और अंत में मोक्ष की प्राप्ति होती है। पापमोचनी एकादशी में कुछ विशेष संयोग बन रहे हैं–सर्वार्थ सिद्धि योग, द्विपुष्कर योग, सिद्धि योग।आगे पढ़ें……

मूहूर्त-एकादशी तिथि प्रारंभ 04 अप्रैल 2024 को अपराह्न 4:17 से 5 अप्रैल 2024 को अपराह्न 1:31 पर समाप्त। उपवास पारण का समय रहेगा 6 अप्रैल 2024 प्रातः 6:05 से 8:37 तक। पूजा विधि-ब्रह्म मुहूर्त में जागकर नित्य कर्म से निवृत्त होकर गंगाजल से स्नान करें पूजाघर को गंगाजल से पवित्र करें।  भगवान विष्णु को प्रणाम करने के बाद उपवास का संकल्प लें, भगवान विष्णु को गंगाजल से स्नान कराकर आसन प्रदान करें। गाय के घी या तिल के तेल से अखंड ज्योति प्रज्वलित करें। भगवान विष्णु को रोली, कुमकुम, चंदन, पीले पुष्प, पान सुपारी, तुलसी पत्र, भगवान को पीले रंग के वस्त्र अर्पित करें एवम 11 पीली मिठाइयां अर्पित करें।  भगवान को पीला चंदन अर्पित का उन्हें हल्दी में रंगा हुआ यज्ञोपवीत चढ़ाए इसके बाद आसन पर बैठकर भगवान विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें।ॐ नारायणाय विद्महे। वासुदेवाय धीमहि।तन्नो विष्णु प्रचोदयात्।।पारण के समय ब्राह्मणों को भोजन कराएं और समर्थानुसार अन्न, वस्त्र, भेंट दान करें।

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