उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में पाया जाने वाला भीमल का पेड़ काफी उपयोगी माना जाता है, इसके पत्तों को जानवरों के लिए चारे के रूप में उपयोग किया जाता है। भीमल के पत्ते जानवरो का पसंदीदा भोजन होता है,और दूध देने वाले जानवरो( गाय-भेस) को इसके पत्ते खिलाने पर दूध की मात्रा बढ़ जाती है। वही भीमल का दूसरा उपयोग इसके रेशों से रस्सी बनाई जाती है जो काफी मजबूत होती है।
भीमल के टहनियों से पत्ते निकालकर जानवरों को खिलाया जाने के बाद टहनियों को एकत्र किया जाता है और फिर इनको गधरे में पानी के अंदर दबा दिया जाता है, महीनों तक दबाए जाने के बाद टहनियों से रेशे निकालकर रस्सियां बनाई जाती है जो काफी मजबूत होती है। हालांकि समय के साथ साथ आधुनिकतम युग में यह विधि भी अब धीरे धीरे विलुप्त होती जा रही है।
उत्तराखंड में विलुप्त हो रही भीमल से बनने वाली रस्सी
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