
उत्तराखण्ड आशा हेल्थ वर्कर्स यूनियन ने कुमाउं आयुक्त दीपक रावत को ज्ञापन सौपते हुए कहा है किउत्तराखण्ड के स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत आशाओं एक ओर तो न्यूनतम वेतन, कर्मचारी का दर्जा कुछ भी नहीं मिलता दूसरी ओर 12 अक्टूबर से 18 अक्टूबर तक चले एक हफ्ते के पल्स पोलियो अभियान के दौरान पल्स पोलियो अभियान में एक हफ्ते का कुल मिलने वाला 700 रुपये घटाकर 550 रुपये कर दिया गया है जो कि बिल्कुल अनुचित और अन्यायपूर्ण है। होना तो यह चाहिए था कि आशाओं को न्यूनतम वेतन और कर्मचारी का दर्जा दिया जाता लेकिन बेहद अफसोस की बात है कि आशाओं को जो किसी अभियान में थोड़ा बहुत मिलता भी है उसमें भी कटौती की जा रही है।जबकि विधायकों के वेतन भत्ते तो लगातार बढ़ते जा रहे हैं लेकिन आशा वर्कर्स जो दिन रात मातृ शिशु सुरक्षा से लेकर स्वास्थ्य विभाग के हर अभियान को चला रही हैं उनको पल्स पोलियो अभियान में दैनिक 100 रुपये देना सरकार को भारी पड़ रहा है और उसमें कटौती की जा रही है। यह बेहद शर्मनाक है। पल्स पोलियो के एक हफ्ते के अभियान में मिलने वाला 700 रुपये घटाकर 550 कर दिया गया इस फैसले को वापस लेकर पुनः 700 रुपये किया जाय। आशाओं की पल्स पोलियो के एक हफ्ते के अभियान में मिलने वाला 700 रुपये घटाकर 550 कर दिया गया इस फैसले को वापस लेकर पुनः 700 रुपये करने की मांग पर ध्यान देते हुए तत्काल समाधान करेंगे। यदि समयबद्ध तरीके से आशाओं की मांग पूरी नहीं हुई तो यूनियन आंदोलन को बाध्य होगी और कहीं ऐसा न हो कि भविष्य में सरकार के इस रवैये के खिलाफ पल्स पोलियो अभियान के बहिष्कार को बाध्य होना पड़े।
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