रचनाकार – भुवन बिष्ट मौना, रानीखेत अल्मोड़ा
कतुक भौल म्यौर पहाड़ छन,प्यारो कुमांऊ प्यारो गढ़वाल छन।।..जौनसार भाबरक आपण शान छन, ख्वार मुकुट बणीं हिमाल छन, मिठो घाम ठंडो पाणिक बहार छन।गौनूंक बाखलियां यादगार छन। चार धामों याँ पावनता छन, देवभूमिंक यौ महानता छन। हरिया सार खेत खलिहान छन, आपण लोकभाषा भौत महान छन। देवभूमि सुंदर संस्कृतिक गुणगान छन, परंपरा सभ्यता हामरिं पछाण छन।……
कतुक भौल म्यौर पहाड़ छन,प्यारो कुमांऊ प्यारो गढ़वाल छन।।..
गौनूंक संस्कृति आपण शान छन,झोड़ा चाँचरी लोकगीतों गुणगान छन। साग-पात ,दूध दै , फल फूल, खूब दैल फैल बहार छन। पन्यार नौलोंक धारोंक पाणिक,पावन नदियाँ भौत महान छन।पवित्रता सबूंक मन में बसिं छन, ऊंचों पहाड़ो में दयाप्तोंक थान छन।
कतुक भौल म्यौर पहाड़ छन,प्यारो कुमांऊ प्यारो गढ़वाल छन।।..
पावन यमुनोत्री गंगोत्री बद्री केदार छन,देवोंक कुंभ नगरी पावन हरिद्वार छन। अलकनंदा नंदाकिनी गंगा की धार छन, पंचप्रयाग देव बसिं दुणिं में जयकार छन। बागनाथ बागेश्वरा जागेश्वर गुणगान छन, हाट कालिका पूर्णागिरी दूनागिरी महान छन। झूलादेवी गर्जिया माता नैना नैनीताल छन, अल्माड़ की नंदा देवी देवभूमि की शान छन।
कतुक भौल म्यौर पहाड़ छन,प्यारो कुमांऊ प्यारो गढ़वाल छन।
चम्पावत में गोलू देवा चितई घोड़ाखाल छन, सरयू गोमती काली बगीं रामगंगा खुशहाल छन। कोसी बगीं देवभूमि में ग्लेशियरों भरमार छन,उत्तरैणी हरेला बग्वाई, फूलदेई पंचमी त्यार छन।ढोल दमुवा हुड़का देखो रणसिंह बिणबाज छन, नगाड़े निशाण संग संस्कृति साज बाज छन। किलमोड़ी काफल हिसालु,बेडू आडू खुमानी छन, फूलों की घाटी सजीं ,धरा हामरिं वरदानी छन।
जै मातृभूमि जन्मभूमि वीर यौ माटी लाल छन,दयाप्तों की तपोभूमि धरा यौ खुशहाल छन।कतुक भौल म्यौर पहाड़ छन,प्यारो कुमांऊ प्यारो गढ़वाल छन।।…..
कुमाउनी रचना: प्यारो उत्तराखंड धरा हामरिं वरदानी
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