ताकुला सत्राली अल्मोड़ा के रहने वाले परिवारों के सदस्यों की हल्द्वानी में होली का आयोजन घर घर जाकर हो रहा है।
नवीन चंद्र पंडित जगदीश चंद्र लोहनी के घर में आयोजित की गई होल्यारों के द्वारा ठेठ कुमाऊनी आंचलिक भाषा में होली के गीतों की को गाकर फागुन के महीने को अमर कर दिया।
शंभू तुम क्यों ना खेलो होली लला, आई बसंत बहार,गलियां गलियां गिरधारी लड़के, डालत हैं रंग मुरली भर के जैसे होली के अति प्राचीन गीतों से फागुन की बहार उमड़ पड़ी।
सत्राली मूल के रहने वालों की हल्द्वानी में सत्राली सांस्कृतिक समिति शीशमहल काठगोदाम से महाशिवरात्रि के दिन होली का प्रारंभ होता है ।
रंग पड़ने के साथ ही घर-घर जाकर सत्रालीवासी होलियां करते हैं।
होली में भुवन चंद लोहनी ,दिनेश चंद्र लोहनी, दामोदर लोहनी, गोपाल दत्त कांडपाल, ललित मोहन पंत गौरीशंकर कांडपाल, कैलाश चंद्र उप्रेती आदि उपस्थित रहे।